भारत की नई शिक्षा नीति : उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक नए युग का आरंभ

Indias new education policy: the beginning of a new era for higher educational institutions
भारत की नई शिक्षा नीति : उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक नए युग का आरंभ
भारत की नई शिक्षा नीति : उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक नए युग का आरंभ
हाईलाइट
  • भारत की नई शिक्षा नीति : उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक नए युग का आरंभ

हमारी नई शिक्षा नीति जो कि 34 साल बाद आई है और 21वीं शताब्दी की हमारी पहली शिक्षा नीति है, भारत में शैक्षिक ²ष्टिकोण से एक क्रांतिकारी कदम है! नई शिक्षा नीति का जो प्रारूप हमारे माननीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी द्वारा प्रस्तावित किया गया है, उससे हमारे स्कूलों और उच्च शिक्षण के संस्थानों में आमूलचूल परिवर्तन आएगा और भारत को वैश्विक स्तर पर ज्ञान की एक महाशक्ति के रूप में उभरने में सहायता मिलेंगी! नई शिक्षा नीति में हमारे सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र को आवंटित करने का जो प्रस्ताव दिया गया वह अभूतपूर्व हैं!

भारतीय उच्च शिक्षा में सकारात्मक बदलाव के लिए एक ऐसे प्रयास की आवश्यकता है जो विश्व स्तरीय मानदंडो और स्थानीय जरूरतों का उचित समन्वय हो! बहुविषयक शिक्षा, अत्याधुनिक अनुसंधान, लचीला पाठ्यक्रम और व्यावसायिक प्रशिक्षण, नई शिक्षा नीति में सुझाये गए कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कदम है जो एक पूर्णतया प्रशिक्षित एवं उचित योग्यताओं से सुसज्जित कार्यदल तैयार करने में सहायक होंगे! साथ ही यह उच्च शिक्षा के संस्थानों में अनुसंधान के परिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के माध्यम से प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव करती है, जो इन शिक्षण संस्थानों में शैक्षिक अनुसंधान की गुणवत्ता को सुधारने के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी! ये सारी पहलें शिक्षकों और विद्यार्थियों में रचनात्मकता, नवाचार, गहन सोच, समस्याओं का समाधान ढूंढने की प्रवृत्ति, समूहों में काम करने की कला और संचार कौशल को बढ़ावा देंगी!

नई शिक्षा नीति 2020 में, शिक्षा में प्रौद्योगिकी के प्रयोग को भी महत्व दिया गया है और कुछ अपार संभावनाओं वाले विचारों जैसे कि ब्लेंडेड लनिर्ंग, विद्यार्थी के अनुरूप तैयार की गयी पाठ्य सामग्री और विद्यार्थी के सीखने की प्रगति को मापना शामिल है! इसके साथ ही नई शिक्षा नीति मूल्यांकन और गुणवत्ता परीक्षा तंत्र के द्वारा विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन को भी सतत रूप से परखने की सिफारिश करती है!

शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर जोर

जैसा कि हम सभी जानते हैं, उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण का सिद्धांत अलग अलग देशों के बीच विद्यार्थियों, शिक्षकों, संस्थानों और प्रोग्राम्स के आदान प्रदान पर आधारित है लेकिन भारत में ये मुख्यत: एक तरफा रहा है! हमारे देश से हर वर्ष लगभग 5 लाख विद्यार्थी विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं, जबकि पिछले तीन वर्षों से हर वर्ष लगभग 40,000 विद्यार्थी (मुख्यत: दक्षिण एशिया और अफ्रीका से) हमारे शिक्षण संस्थानों में बाहर से शिक्षा प्राप्त करने के लिए आ रहे हैं! इसी प्रकार हमारे लगभग 0.3 प्रतिशत शिक्षक अंतर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमि से हैं! इस प्रवर्ति का मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा का स्तर हमारे विश्वविद्यालयों से बेहतर होना है! नई शिक्षा नीति इन सभी चुनौतियों का समाधान करने में सहायक होगी और भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए उनका मार्गदर्शन करेगी !

अनुसंधान की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कदम

प्रबल अनुसंधान परक शिक्षण संस्थान स्थापित करना एवं आर एंड डी का राज्य एवं राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के स्तर पर प्रचार एवं प्रसार करना, नई शिक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण बिंदु है! नई शिक्षा नीति अनुसंधान एवं नवाचार पर स्टार्टअप उद्भवन केंद्र, प्रौद्योगिकी विकास केंद्र, उद्योगों एवं शिक्षण संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय, एवं अंत:विषयक अनुसंधान आदि के माध्यम से अपना ध्यान केंद्रित करती है! भारतीय अनुसंधान फाउंडेशन, उच्च शिक्षण संस्थानों में वित्तपोषण के माध्यम से अनुसंधान एवं नवाचार का प्रचार प्रसार करेगी और यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में आर एंड डी को स्थिरता एवं तीव्र विकास की ओर ले जाएगा!

रैंकिंग एवं रेटिंग और शिक्षा की गुणवत्ता

यह एक स्थापित तथ्य है की रैंकिंग्स एवं रेटिंग्स, उच्च शिक्षा के क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है! और ये विद्यार्थियों, शिक्षकों अभिभावकों, नियोक्ताओं और उच्च शिक्षा से संबंधित अन्य प्राधिकारी वर्ग का पर्सेप्शन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करती है! पिछले दशक में सरकारी एवं निजी संस्थानों द्वारा रैंकिंग्स एवं रेटिंग्स को सशक्त करने के प्रयासों से शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाने की सोच को बल मिला है! अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय प्रत्यापन (एनएएसी, एनबीए, इएफएमडी, एएमबीए) रैंकिंग्स (क्यूएस, टीएचई, एनआईआरएफ, इत्यादि) और रेटिंग्स (क्यूएस, स्टार्स, आई-गेज आदि) के मापदंड, मूलत: नवाचार युक्त पाठ्यक्रम, गुणवत्तापरक शिक्षण-अधिगम की विधियों, शिक्षकों की गुणवत्ता, विद्यार्थियों के कौशल एवं ज्ञान वर्धन, विविधता एवं अभिगम्यता, शोध एवं नवाचार, शैक्षिक विकास एवं आदर्श शासन विधि की कार्यशैली पर आधारित है! मूल्यांकन की इन सभी प्रक्रियाओं ने शिक्षण संस्थानों को एक उत्तम विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात, शिक्षकों के सतत पेशेवर विकास एवं क्षमता निर्माण और विद्यार्थी एवं शिक्षकों के विनमयीकरण द्वारा उनके अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर में वृद्धि में सहायता की है! जो रैंकिंग्स एवं रेटिंग्स अंतरराष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन मानको पर आधारित हैं और साथ ही स्थानीय वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गयी हैं, वो इन संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानदंड प्राप्त करने में सहायता कर रहीं हैं, साथ ही वे विद्यार्थियों, अभिभावकों और दूसरे इस क्षेत्र से जुड़े हुए व्यक्तियों को संस्थानों के प्रबल पहलुओं एवं चुनौतियों को भी समझने में सहायता करतीं हैं !

आगे की राह

नई शिक्षा नीति का प्रभावी कार्यान्वयन ज्ञान के एक ऐसे जीवंत केंद्र की स्थापना करेगा, जो कि अवसरों की उपलब्धता, सामथ्र्य, जवाबदेही, गुणवत्ता एवं न्याय सम्यता के सिद्धांत पर आधारित होगा, सभी नागरिको को सीखने अपना योगदान देने और आगे बढ़ने के लिए एक समावेशी प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा, और भारत के शिक्षण तंत्र को विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के सम्कक्ष ले जाकर खड़ा कर देगा! शिक्षा के क्षेत्र में निजी एवं सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना भारतीय शिक्षण संस्थानों की क्षमता वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है! शिक्षण संस्थानों में अत्याधुनिक एवं विश्व स्तर पर प्रासंगिक शोध को प्रोत्साहित करने के लिए एक रणनीति की आवश्यकता है, जो कि वैश्विक सहकारिता को प्रोत्साहित करेगी! शिक्षण संस्थानों के अंदर ऐसे नेतृत्व को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जो तेजी से बदलती हुई परिस्थितियों में उचित समय के अंदर, जवाबदेही के साथ महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम हो! भारतीय संस्थानों को ऐसे ग्रैजुएट/ स्नातक तैयार करने की आवश्यकता है जो अपने कौशल के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य हों! आने वाले समय में हमारी आवश्यकता है कि शिक्षा के क्षेत्र में हम एक ऐसी रूप रेखा तैयार करें जो गुणवत्ता एवं श्रेष्ठता को प्रोत्साहित करें, रैंकिंग्स एवं रेटिंग्स के द्वारा संस्थानों में परस्पर प्रतिस्पर्धा की भावना को जागृत करें और भारत को वैश्विक उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित करे!

(डॉ. आश्विन फर्नांडिस मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका, क्यूएस क्वाकेरेली सिमॉंड्स के क्षेत्रीय निदेशक हैं।)

Created On :   7 Dec 2020 4:31 PM IST

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