IAS राजीव शर्मा के बाद IPS अमित सिंह का छलका 'आरक्षण का दर्द'

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य के अंदर आरक्षण में पद्दोन्नति को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। रविवार को IAS राजीव शर्मा सामान्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संघ (सपाक्स) के साथ खड़े नजर आए थे। इसके दूसरे दिन सोमवार को रतलाम SP अमित सिंह ने राजपूत समाज के दशहरा मिलन कार्यक्रम में आरक्षण पर एक बड़ा बयान देते हुए फिर बहस छेड़ दी है। दोनों ही मामलों में इन IAS और IPS अफसरों ने आरक्षण को लेकर अपना दर्द बयां किया है।
रविवार को जहां IAS राजीव शर्मा ने सपाक्स का साथ दिया है। वहीं सोमवार को SP अमित ने कहा कि मुझसे कम रैंक वाला दोस्त IAS बन गया, जबकि 144 रैंक होने के बावजूद उन्हें IPS कैडर मिला। उन्होंने अपने से 456 रैंक पीछे रहने वाले साथी के IAS में सिलेक्शन होने और खुद की 144वीं रैंक के बावजूद IPS में सिलेक्शन होने का दर्द बयां किया। इस दौरान उन्होंने सभी प्रकार के आरक्षण के बजाए एक आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की बात कही है।
- एक ही परिवार को बार-बार आरक्षण क्यों?
SP अमित सिंह ने कहा कि मेरे हिमाचल कैडर का साथी जिसके माता-पिता IAS अफसर थे, जिसकी शिक्षा IIM अहमदाबाद सहित ऊंचे संस्थानों में हुई। मगर ऑल इंडिया रैंक में मुझसे काफी पीछे होने के बावजूद उसे आरक्षण की वजह से IAS कैडर मिल गया। इस बयान पर बाद में सफाई देते हुए कहा, "माता-पिता के सक्षम होने के बावजूद कुछ लोगो को आरक्षण मिल रहा है, जबकि आरक्षण एक निश्चित समय के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण कि समीक्षा होनी चाहिए। एक ही परिवार को बार-बार आरक्षण का लाभ देना ठीक नहीं है।"
- सपाक्स से जुड़ने वाले राजीव शर्मा पहले IAS
सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग में अतिरिक्त सचिव IAS राजीव शर्मा ने रविवार को सपाक्स की ओर से समानता जागृति दिवस कार्यक्रम में बतौर संरक्षक शिरकत की। इस दौरान राजीव ने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि धन्य है मेरे देश की राजनीति, पहले समाज को बांट दिया और अब अफसरों समेत कर्मचारियों को भी बांट रहे हैं। मध्यप्रदेश में आरक्षित अधिकारियों और कर्मचारियों के संगठन अजाक्स को सरकार से मान्यता प्राप्त है। उस संगठन से कई IAS अधिकारी जुड़े हुए हैं। सपाक्स से सीधे तौर पर जुड़ने वाले राजीव शर्मा प्रदेश के पहले IAS अधिकारी हैं।
- एमपी में क्या है आरक्षण पर विवाद
मध्य प्रदेश में इन दिनों आरक्षण में पदोन्नति को लेकर बेहद तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण देने के दिग्विजय सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। शिवराज सरकार इस फैसले को मानने के बजाए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई है। सपाक्स चाहता है कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले को मानें लेकिन एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अजाक्स के सम्मेलन में यह ऐलान कर चुके हैं कि उनके रहते कोई आरक्षण खत्म नहीं कर सकता है।
Created On :   9 Oct 2017 9:30 PM IST