21-Day Lockdown: क्या आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई के लिए पूरी तरह से तैयार है भारत?

Is India prepared to meet the supply requirements of foodstuffs for 21-day coronavirus lockdown
21-Day Lockdown: क्या आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई के लिए पूरी तरह से तैयार है भारत?
21-Day Lockdown: क्या आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई के लिए पूरी तरह से तैयार है भारत?
हाईलाइट
  • क्या भारत इस लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए तैयार है?
  • पीएम ने कहा- सरकार आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए सभी कदम उठाएगी
  • पीएम मोदी ने मंगलवार को 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। घातक कोरोनावायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र और राज्य सरकारें आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएगी। लेकिन यहां पर ये सवाल उठता है कि क्या भारत इस लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को पूरा करने के लिए तैयार है?

खाद्य पदार्थों में घरेलू उपलब्धता की स्थिति क्या है?
देश में अधिकांश एग्रिकल्चर कमोडिटीज के प्रोडक्शन या सप्लाई में कोई परेशानी नहीं है। 1 मार्च को, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास गेहूं और चावल का स्टॉक लगभग 77.6 मिलियन टन (mt) था। यह स्टॉक 1 अप्रैल तक मेंटेन किए जाने के लिए आवश्यक 21.04 मिलियन टन के मिनिमम ऑपरेशनल बफर-कम-स्ट्रेटजिक स्टॉक का साढ़े तीन गुना से अधिक है। इसके अलावा इस बार गेहूं की भी बंपर पैदावार हुई है जो अगले महीने मंडियों में आना शुरू हो जाएगी। इसी तरह की स्थिति दालों की भी है। 19 मार्च को नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पास 2.25 मिलियन टन का स्टॉक था। इसके अलावा चना, मसूर और मटर की नई फसल भी बाजार में आना शुरू हो गई है।

दूध, चीनी और खाद्य तेलों जैसे सामान की क्या है स्थिति?
इन सभी सामानों को मंडियों में बेचने के लिए नहीं लाया जाता है। डेयरी, किसानों से या थोक विक्रेताओं के माध्यम से सीधे दूध खरीदती है। वहीं मिलों में चीनी का उत्पादन गन्ने से होता है। मिलें ये गन्ना सीधे उत्पादकों से खरीदती है। अगर खाद्य तेलों की बात की जाए तो भारत में खाद्य तेल की खपत का दो-तिहाई आयात किया जाता है। लॉकडाउन की वर्तमान स्थिति में होटल और रेस्तरां में इन तीनों वस्तुओं की मांग बेहद कम हो गई है। ऐसे में दूध, चीनी और खाद्य तेल की डिमांड अब केवल कंज्यूमर सेगमेंट में है। यहीं वजह है कि मांग कम होने से इन वस्तुओं की सप्लाई में किसी तरह की कोई परेशानी आती हुई नहीं दिख रही है।

तो, वे कौन से खाद्य उत्पाद हैं जिनकी आपूर्ति प्रभावित हो रही है?
मूल रूप से फल और सब्जियां वो उत्पाद है जिनकी आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इन दोनों को मंडियों के माध्यम से बेचा जाता है। नवी मुंबई के वाशी बाजार में फल व्यापारियों और कमीशन एजेंटों ने कोरोनोवायरस के प्रसार की आशंका के चलते बुधवार से अपने ऑपरेशन को सस्पेंड करने की घोषणा की है। हालांकि, ऐसे क्लोजर प्राथमिक APMCs की तुलना में शहरों के करीब टर्मिनल बाजारों में अधिक होते हैं, जहां बहुत सारे किसान अपनी उपज लाते हैं। अभी, ग्रामीण इलाकों में महामारी की आशंका कम है। हालांकि उत्तर प्रदेश के शामली जिले के खेरी बैरागी गांव के गन्ना किसान जितेन्द्र सिंह हुड्डा ने आने वाले दिनों में 25-30% फसल कटाई की कमी की आशंका जताई है। उनके अनुसार, बिहार के कई प्रवासी मजदूर अपने गांवों वापस चले गए हैं और पीक सीजन में फसल कटाई के लिए मजदूरों का न मिलना बड़ी समस्या है।

आने वाले दिनों में सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
COVID-19 से निपटने के लिए राष्ट्र को दिए अपने पहले संबोधन में, प्रधान मंत्री ने उल्लेख किया था कि दूध जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं होने दी जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। लेकिन दुर्भाग्य से, अन्य खाद्य पदार्थों में समान दृष्टिकोण दिखाई नहीं दिया है। एकर राज्य से दूसरे राज्य में वाहनों की एंट्री पर प्रतिबंधों के कारण आंध्र प्रदेश के मदनापल्ले से टमाटर से लदे ट्रक बेंगलुरू नहीं पहुंच सकें। इस तरह बैंगन और बीन्स के ट्रक कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर से हैदराबाद के उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचे। अल्फांसो आम और अंगूर की सप्लाई पर भी असर पड़ा है। इससे रत्नागिरि और सांगली में उत्पादकों को नुकसान होगा। इसलिए जरुरत है कि सरकार इन सभी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान निकाले जिस तरह दूध की सप्लाई के लिए किया गया है।


 

Created On :   25 March 2020 9:54 AM GMT

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