ISRO को झटका, प्रायवेट सेक्टर की मदद से बना सैटेलाइट लॉन्चिंग में फेल

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन को गुरुवार को बड़ा झटका लगा। भारत के आठवें नैविगेशन सैटलाइट IRNSS-1H की लॉन्चिंग फेल हो गई। 1,425 किलोग्राम वजन के सैटलाइट को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से PSLV-XL के जरिए छोड़ा गया था। इसरो चेयरमैन एएस किरण ने मिशन के फेल होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सैटलाइट हीट शील्ड से अलग नहीं हो पाया।
इस सैटेलाइट को पहली बार किसी प्रायवेट सेक्टर कंपनी की मदद से बनाया गया था। इसमें यहां की डिजाइन टेक्नोलॉजी कंपनी अल्फा के 70 इंजीनियरों ने अहम् भूमिका निभाई थी। इसे इसरो के भरोसेमंद लॉन्च वेहिकल PSLV-XL से गुरुवार शाम सात बजे लॉन्च किया गया। इसके आधे घंटे के बाद ही ISRO ने प्रक्षेपण के नाकाम होने का एलान किया। सैटेलाइट को विदेशों में बनने वाले किसी भी सैटेलाइट की लागत के मुकाबले लगभग एक-तिहाई से भी कम दाम में इसे तैयार किया था।
जीपीएस आधारित सुविधाओं में इजाफे की थी उम्मीद
इस सैटेलाइट के लांच होने से देश में जीपीएस आधारित सुविधाओं में इजाफा होने की संभावना थी। सैटेलाइट की असेंबलिंग और टेस्टिंग में भी प्रायवेट सेक्टर सक्रिय रूप से शामिल रहा। 1,425 किलोग्राम वजन का सैटलाइट को गुरुवार शाम ठीक 7 बजे छोड़ा गया। ISRO को 2013 में लॉन्च हुए अपने पहले नैविगेशनल सैटलाइट IRNSS-1A की 3 परमाणु घड़ियों के काम बंद कर देने के बाद IRNSS-1H को लॉन्च करने की जरूरत महसूस हुई। परमाणु घड़ियों को सही-सही लोकेशनल डेटा उपलब्ध कराने के लिए लगाया गया था और इन्हें यूरोपियन एयरोस्पेस निर्माता ऑस्ट्रियम से खरीदा गया था।
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारत ने अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर विकसित किया है 1,420 करोड़ रुपये लागत वाला भारतीय उपग्रह नौवहन प्रणाली, नाविक में नौ उपग्रह शामिल हैं, जिसमें सात कक्षा में और दो विकल्प के रूप में हैं।
Created On :   31 Aug 2017 8:05 PM IST