जेल के जिम्मेदार : सलाखों की कमाई दान-पुण्य में लुटाते सजायाफ्ता (आईएएनएस विशेष)

Jail responsible: Convicted in bars earning money - IANS Special
जेल के जिम्मेदार : सलाखों की कमाई दान-पुण्य में लुटाते सजायाफ्ता (आईएएनएस विशेष)
जेल के जिम्मेदार : सलाखों की कमाई दान-पुण्य में लुटाते सजायाफ्ता (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। कोरोना से लड़ी जा रही लड़ाई में कूदे खूंखार कैदी भी कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। यहां तक कि वे दिन रात श्रम तो कर ही रहे हैं, इस श्रम के बदले मिल रहे मेहनताना यानि आमदनी को भी दान-पुण्य में लगा रहे हैं। किसी अदालत या जेलर के दबाव या डर से नहीं, वरन खुद की मर्जी से खुशी-खुशी।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तिहाड़ (9), मंडोली(6), रोहिणी (1) सहित कुल 16 जेल हैं। इन 16 में से दो जेल महिलाओं के लिए हैं। दिल्ली की इन 16 जेल में इस वक्त 14 हजार 384 पुरुष और 500 के आसपास महिला कैदी हैं। हाल फिलहाल कोरोना के कहर के चलते और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद छोड़े गये करीब चार हजार कैदी इस संख्या से अलग हैं।

दिल्ली जेल के अतिरिक्त महा-निरीक्षक राज कुमार के मुताबिक, एक महीने में हमारी जेलों में बंद कैदी तकरीबन डेढ़ से पौने दो लाख मास्क बना चुके हैं। इन मास्क में से ही हमने जेल स्टाफ, जेल की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ, आईटीबीपी, तमिनाडू स्पेशल पुलिस, दिल्ली पुलिस की तीसरी वाहनी के करीब 3000 जवान भी हमारे कैदियों के हाथों से तैयार मास्क ही पहन रहे हैं। 25 हजार मास्क हमारे पास तैयार रखे हैं।

राज कुमार से मुताबिक, इस काम में स्वेच्छा से हजारों विचाराधीन कैदी भी जुटे हैं। अब तक हमने कैदियों द्वारा बनाये गये सबसे ज्यादा मास्क दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, ऑब्जर्वेशन होम्स, बाल कल्याण कुटीर, फूड कापोर्रेशन ऑफ इंडिया, बीपीआर एंड डी को उपलब्ध कराये हैं।

दिल्ली जेल महानिदेशक संदीप गोयल ने आईएएनएस से कहा, यह देखकर अच्छा लगता है कि, इस नेक काम में हजारों कैदी स्वेच्छा से ही जुटे हुए हैं। हम (दिल्ली जेल में बंद कैदी)अपने लिये तो मास्क बना ही रहे हैं। हमारे कैदियों के हाथों बनाये गये मास्क बाकी तमाम फोर्स के भी काम आ रहे हैं। यह और भी संतुष्टि की बात है।

संदीप गोयल ने बातचीत के दौरान आगे कहा, हमारी सभी 16 जेल में मौजूद कैदी और स्टाफ जेल में बना सेनेटाइजर ही इस्तेमाल कर रहे हैं।

कोरोना के कोहराम में राजस्थान की जेलों ने भी अपनी पहचान गुम नहीं होने दी है। यहां की जेलों में बंद करीब 21 हजार कैदियों की नजर से देखा जाये तो, भारत में यह राज्य 7वें पायदान पर खड़ा है। इन 21 कैदियों में 6 हजार कैदी सजायाफ्ता और करीब 15 हजार विचाराधीन कैदी हैं। राजस्थान की जेलों में महिला कैदियों की संख्या करीब 500 है।

राजस्थान की जेलों में बंद कैदी कोरोना सी महामारी के दौरान अब तक करीब 2 लाख 25 हजार मास्क तैयार कर चुके हैं। राज्य का जेल स्टाफ और जेलों में बंद कैदी खुद भी अपने हाथ के बने इन्हीं मास्क का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा जेल में बने इन मास्कों की आपूर्ति राजस्थान पुलिस, डाक, अस्पताल, होमगार्डस, पंचायत, स्वंयसेवा संस्थानों में भी की जा रही है।

आईएएनएस से टेलीफोन पर विशेष बातचीत के दौरान राजस्थान के महानिरीक्षक (जेल) और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विकास कुमार ने कहा, अब तक हमारे कैदी 35 हजार लीटर से ज्यादा सैनेटाइजर बना चुके हैं। राजस्थान राज्य कोरोना महामारी के दौरान देश का पहला वो राज्य भी बना है जिसकी, किसी जेल में सैनेटाइजर फैक्टरी की स्थापना हुई। हमने सैनेटाइजर फैक्टरी सांगानेर खुली जेल में स्थापित की है। इसके अलावा पर्सनल प्रोटेक्शन किट (मास्क, सैनीटाइजर, फिनाइल, मेडिकेटिड साबुन) भी हमारी जेलों के द्वारा ही मुहैया कराई जा रही है।

आईजी जेल राजस्थान के मुताबिक, खुली जेल में ही एक पैकिंग केंद्र भी चालू किया गया है। यहां राशन व उससे संबंधित अन्य जरुरी सामान पैक करके समाज के जरुरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है। यह काम भी राजस्थान की खुली जेलों में बंद कैदियों द्वारा ही अंजाम दिया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक राज्य में करीब 80 हजार फूड-पैकेट्स की आपूर्ति की जा चुकी है।

राजस्थान आईजी जेल ने आईएएनएस से आगे कहा, कोरोना के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखने के लिए ई-मुलाकात शुरू की गयी। अब तक इसके जरिये 6 हजार से ज्यादा कैदियों की उनके अपनों से मुलाकात कराई जा चुकी है।

गुजरात राज्य की सूरत स्थित लाजपोर जेल के कैदी हिंदुस्तान की बाकी जेल के कैदियों से दो कदम आगे निकले। कोरोना की कमर तोड़ने के लिए उन्होंने सलाखों के अंदर की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई ही लुटाने का फैसला हंसते-हंसते कर लिया। यहां के कैदियों ने एक लाख 11 हजार 111 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने के वास्ते जेल अधीक्षक मनोज निनामा के हवाले कर दिये। गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने यहां जेलों में बंद कैदियों में से 1200 से ज्यादा कैदियों की अस्थाई तौर पर रिहाई भी करा दी। ताकि जेलों में भीड़ कम करके कोरोना की चेन को नेस्तनाबूद किया जा सके।

गुजरात के जेल महानिदेशक केएलएन राव ने आईएएनएस को टेलीफोन पर बताया, हमारे राज्य की 33 जेलों में 14 हजार कैदी बंद हैं। इनमें 9500 के करीब विचाराधीन बाकी सजायाफ्ता हैं। 500 से ज्यादा महिला कैदी हैं। फिलहाल राज्य की जेलों में विदेशी कैदियों की संख्या 95 है। इनमें भी 50 से ज्यादा पाकिस्तानी मछुआरे शामिल हैं।

-- आईएएनएस

Created On :   1 May 2020 9:00 PM IST

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