झारखंड चुनाव : भाजपा के गढ़ में पत्थलगड़ी आंदोलन दिखा सकता है रंग

Jharkhand elections: Pathalgadi movement can show color in BJPs stronghold
झारखंड चुनाव : भाजपा के गढ़ में पत्थलगड़ी आंदोलन दिखा सकता है रंग
झारखंड चुनाव : भाजपा के गढ़ में पत्थलगड़ी आंदोलन दिखा सकता है रंग

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड की राजधानी रांची के पड़ोस में स्थित खूंटी विधानसभा के चुनावी मैदान में लड़ाई दिलचस्प है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता करिया मुंडा के एक पुत्र जगन्नाथ मुंडा जहां अपने पिता की पार्टी के भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा के लिए काम कर रहे हैं, वहीं दूसरे पुत्र अमरनाथ अपनी राह अलग पकड़ते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रत्याशी सुशील पाहन के लिए प्रचार कर रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा लगातार चौथी जीत के लिए चुनावी मैदान में हैं, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं दिख रही है। खूंटी में दूसरे चरण में सात दिसंबर को मतदान हैं। पत्थलगड़ी आंदोलन की शुरुआत वाले इस क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और झामुमो के बीच माना जा रहा है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) यहां से पत्रकार और आदिवासी चेहरा दयामनी बारला को चुनावी मैदान में उतारकर इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है।

खूंटी कस्बे और शहरी क्षेत्र में एक चाय की दुकान पर मिले एक व्यापारी ने कहा कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मतदान करेंगे।उन्होंने कहा, यह सही है कि इस क्षेत्र में रघुवर दास की सरकार में कोई खास काम नहीं हुआ है। यहां ना तो कोई रोजगार का साधन है और ना ही कोई उद्योग-धंधा खोला गया, लेकिन यहां के लोगों को नरेंद्र मोदी पर विश्वास है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खूंटी में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर भाजपा के लिए वोट मांग चुके हैं। पत्थलगड़ी आंदोलन का भी इस क्षेत्र में काफी असर दिख रहा है। यह आंदोलन 2017-18 में तब शुरू हुआ, जब बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए। इस आंदोलन के तहत आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थरों पर संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए प्रदान किए गए अधिकारों को लिखकर उन्हें जगह-जगह जमीन पर लगा दिया।

यह आंदोलन काफी हिंसक भी हुआ। इस दौरान पुलिस और आदिवासियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ। यह आंदोलन अब भले ही शांत पड़ गया है, लेकिन ग्रामीण उस समय के पुलिसिया अत्याचार को नहीं भूले हैं। खूंटी पुलिस के मुताबिक, पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े कुल 19 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 172 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

खूंटी के समीप अनीगड़ा गांव के ब्रजमोहन पाहन कहते हैं कि यहां के आदिवासी पत्थलगड़ी के दौरान सरकार की दमनकारी व्यवस्था को नहीं भूले हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आखिर क्यों भाजपा को वोट दिया जाए? उन्होंने कहा कि विकास को आप खुद देख लीजिए, गांव में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है। एक अन्य गांव के निवासी ने कहा कि अभी ग्रामसभा की बैठक नहीं हुई है। ग्राम सभा में ही, किसे वोट दिया जाएगा, तय किया जाएगा।

झाविमो के उम्मीदवार दयामनी बारला यहां जल, जंगल और जमीन से जुड़े मुद्दों को उठाकर वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। इस चुनाव में यहां से कुल 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।

खूंटी विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। वर्ष 2005 के चुनाव में यहां से नीलकंठ सिंह मुंडा विधायक चुने गए, उसके बाद वे लगातार दो बार 2009 और 2014 के चुनाव में भी इस क्षेत्र से विजयी रहे। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा ने झामुमो के जिदान होरो को 21 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।

 

Created On :   5 Dec 2019 4:00 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story