जो कुछ भी किया, न्यायपालिका के हित में किया : जस्टिस कुरियन जोसेफ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जजों और चीफ जस्टिस के बीच शुक्रवार को मतभेद सामने आए थे। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने शुक्रवार को देश के इतिहास में पहली बार चीफ जस्टिस पर सवाल खड़े किए थे। अब इन चार जजों में से एक जस्टिस कुरियन जोसेफ ने अपने इस कदम को सही बताया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि उन्होंने जो कुछ भी किया, न्यायपालिका के हित में किया और उनके इस कदम ने किसी तरह के अनुशासन को नहीं तोड़ा है।
कुरियन जोसेफ ने अपने निवास पर कुछ पत्रकारों से बाचतीत करते हुए कहा कि उनके इस कदम से न्यायपालिका के प्रशासन में सुधार आने के साथ-साथ पारदर्शिता भी आएगी। कुरियन ने कहा, "हम न्याय और न्यायपालिका के हित में खड़े हैं। हमारे द्वारा जनता के सामने कुछ चीजें सामने लाना जरुरी थी। एक मुद्दा सामने आया था, जिस पर बात करना जरुरी थी। अब निश्चितरूप से इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।"
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने शुक्रवार को देश के इतिहास में पहली बार चीफ जस्टिस पर सवाल खड़े किए थे। इन जजों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे चेलामेश्वर के नेतृत्व में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने यह बातें रखी थी।
मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए जजों ने कहा था, "करीब दो महीने पहले हमनें चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमनें देश के सामने यह बात रखने की सोची।" इस दौरान जजों ने यह भी कहा कि वे नहीं चाहते कि 20 साल बाद कोई बोले कि जस्टिस चेलामेश्वर, गोगोई, लोकुर और कुरियन जोसेफ ने अपनी आत्मा बेच दी और संविधान के मुताबिक सही फैसले नहीं दिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जजों से पूछा गया कि क्या ये जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत से जुड़ा मामला है, तो इस पर जजों ने हां भरी। बता दें कि जस्टिस बीएच लोया की 1 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम आए थे। जजों का आरोप था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन कदम उठा सकता था लेकिन नहीं उठाए गए। इसके साथ ही जजों ने कुछ अहम मामलों के सुप्रीम कोर्ट में बटवारे पर भी सवाल उठाए थे।
Created On :   13 Jan 2018 5:24 PM IST