राम रहीम के पाखंड का पर्दाफाश करने वाले रामचन्द्र की हत्या का ‘पूरा सच’
![Know the man behind the demolition of Saint Gurmeet Ram Rahim Know the man behind the demolition of Saint Gurmeet Ram Rahim](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2019/01/know-the-man-behind-the-demolition-of-saint-gurmeet-ram-rahim1_730X365.jpg)
- घर के बाहर मार दी गई थी गोली।
- पत्रकार रामचन्द्र ने खत को अपने अखबार में छापा था।
- सिरसा के एक पत्रकार की हत्या के मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने गुरमीत राम रहीम को हत्या का आरोपी करार दिया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आश्रम में रहने वाली एक साध्वी के साथ दुष्कर्म का आरोप में 20 साल की सजा काट रहे, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कर अदालत ने राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई है। अपने परिजन की हत्या के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे रामचन्द्र के परिवार को आखिरकार आज न्याय मिल ही गया। आखिर कौन थे ये पत्रकार जो अपने अखबार और लेखों के दम से धर्म के नाम पर पाखंड फैलाने वाले गुरमीत राम रहीम का सच समाज के सामने लाना चाहते थे।
रामचन्द्र ने ही बताया था बलात्कारी है डेरा प्रमुख
साल 2000 में हरियाणा के सिरसा में "पूरा सच" नाम से अखबार की शुरूआत करने वाले रामचन्द्र छत्रपति, दुष्कर्म का शिकार हुई साध्वियों की आवाज बने। रामचन्द्र पूरा सच के संपादक थे और डेरा सच्चा सौदा में धर्म के नाम पर चल रहे गोरखधंधों के बारे में लिखते थे। सिरसा के ही एक वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार रामचन्द्र को साल 2002 में एक खत मिला, लेकिन लिखने वाले की कोई जानकारी नहीं थी। दरअसल ये चिट्ठी डेरे में यौन शोषण का दंश झेल रही साध्वियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी थी, जिसमें गुरमीत राम रहीम का अपराधी चरित्र का लेखा जोखा था। निडर पत्रकार रामचन्द्र ने उस खत को अपने अखबार में छाप दिया, जो उनकी हत्या का कारण भी बना। बताया जाता है कि डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ लिखने के कारण रामचन्द्र हमेशा अपराधियों के निशाने पर रहते थे।
घर के बाहर मार दी गई थी गोली
रोज की तरह अपना काम कर दफ्तर से घर पहुंचे रामचन्द्र को उन्हीं के आंगन में गोली मार दी गई थी। गुरमीत राम रहीम की गोली का शिकार हुए रामचन्द्र के बेटे अंशुल के अनुसार, करवाचौथ के दिन यानी 24 अक्टूबर 2002 को दो अनजान लोगों ने पिता को घर से बाहर बुलाया और गोलियों से भून दिया। घायल पिता को रोहतक के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत ज्यादा बिगड़ने पर दिल्ली के हास्पिटल में दाखिल कराया। यहां उनकी मौत हो गई। अंशुल बताते हैं कि पिता पर जब हमला हुआ, तब वे मात्र 21 वर्ष के थे।
बयान तक नहीं लिया गया
प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगाते हुए अंशुल ने बताया कि पिता की हालत में बीच में कुछ सुधार हुआ था। वो बयान देने की स्थिति में थे, लेकिन राजनीतिक दवाब के चलते उनका बयान तक दर्ज नहीं किया गया। आरोपियों के खिलाफ जब रिपोर्ट लिखी गई तो पुलिस ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख का नाम गायब कर दिया था।
धमकियों से क्या डरना, एक दिन तो सभी को जाना है
अपने मुखर लेखों से एक निडर पत्रकार के रूप में पहचान बना चुके रामचन्द्र को सभी जानते हैं। नेता योगेन्द्र यादव के अनुसार रामचन्द्र एक निडर पत्रकार थे। स्वराज इंडिया के नेता ने फेसबुक पर रामचन्द्र के साथ एक मुलाकात के बारे में लिखा। यादव के लेख के मुताबिक रामचन्द्र ने कहा कि चिट्ठी छाप दी गई है, उससे बाबा बौखलाए हुए हैं. चिठ्ठी छपने के महीने के अंदर उसे लीक करने के शक में भाई रंजीत सिंह की हत्या कर दी गयी. सुनकर मैं सिहर गया. पूछा "रामचंद्र जी, आपको खतरा नहीं है"? बोले "हाँ कई बार धमकियाँ मिल चुकी हैं, क्या होगा कोई पता नहीं. लेकिन कभी न कभी तो हम सबको जाना है."। योगेन्द्र ने चौटाला सरकार पर भी ठीक से जांच नहीं करने के आरोप लगाए।
हस्तियों ने किया याद
भारत के जाने माने और वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा कि मामले में जो शिकायती गुमनाम खत को महान पत्रकार राम चंद्र छत्रपति ने दैनिक पूरा सच में छापा था, उनकी हत्या हो गई. राजेंद्र सच्चर, आर एस चीमा, अश्विनी बख़्शी और लेखराज जैसे महान वकीलों ने बिना पैसे के केस लड़ा.""। भारतीय फिल्म इतिहास की मशहूर फिल्म मसान के डायरेक्टर नीरज ने लिखा कि 15 साल पहले राम रहीम द्वारा किए गए रेप केस को सामने लाने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को हम भूल न जाएं.
Created On :   11 Jan 2019 1:50 PM GMT