आज के दिन गोलियों का बाग बन गया था जलियांवाला बाग, ये है दर्दनाक दास्तां

आज के दिन गोलियों का बाग बन गया था जलियांवाला बाग, ये है दर्दनाक दास्तां
हाईलाइट
  • इस हत्‍याकांड का बदला लेने के लिए 13 मार्च 1940 को ऊधम सिंह लंदन पहुंच गए और कैक्सटन हॉल में डायर को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया।
  • बैसाखी के पर्व पर जश्न मनाने के लिए भी हजारों लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए थे।
  • 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था।
  • अंग्रेज जनरल रेगिनैल्‍ड डायर अपने सिपाहियों के साथ अचानक वहां पहुंच गया। सैनिकों ने चारों ओर से घेराबंदी कर वहां पर मौजू

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दिन ही यानी 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। 99 साल पहले हुए इस नरसंहार की दास्तां इतनी दर्दनाक थी जिसे आज भी नहीं भुलाया जा सका है। अंग्रेजों की अंधाधुंध गोलियों की बौछार ने 1000 से ज्‍यादा लोगों की जान ले ली थी जबकि 1500 से भी ज्‍यादा घायल हुए थे। इसी हत्‍याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत भी हुई।  


पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
पीएम नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग हत्या कांड में शहीद हुए लोगों को याद किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर बहादुर शहीदों को श्रद्धांजलि दी है। पीएम ने लिखा है शहीदों की अदम्य भावना को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने देश आजादी के लिए खुद को कुर्बान कर दिया। शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके अलावा कई राज्यों के सीएम और नेताओं ने भी शहीदों को याद किया है।

 


बैसाखी का पर्व मनाने के लिए इकट्ठे हुए थे लोग
13 अप्रैल 1919 मतलब आज से ठीक 99 साल पहले। अमृतसर में गोल्‍डन टेंपल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग में रौलेट एक्‍ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी। उस दिन बैसाखी का पावन पर्व भी था। इस पर्व पर जलियांवाला बाग में मेला भी लगता था। बैसाखी के पर्व पर जश्न मनाने के लिए भी हजारों लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए थे। तभी अंग्रेज जनरल रेगिनैल्‍ड डायर अपने सिपाहियों के साथ अचानक वहां पहुंच गया। सैनिकों ने चारों ओर से घेराबंदी कर वहां पर मौजूद निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया।

 

देखते ही देखते जश्न मातम में बदलने लगा। लोगों में भगदड़ मच गई। अपनी जान बचाने के लिए हर कोई इधर-उधर भागने लगा लेकिन कोई भी जिंदा नहीं बचा। क्योंकि जलियांवाला बाग की डिजाइन ही कुछ इस तरह की थी। वहां आने और जाने के लिए सिर्फ एक ही गेट था। अंदर एक कुआं भी था। वो भी कई जिंदगियों को निगल गया था। बाग के चारों और लोगों के घर बने हुए थे। ऊंची-ऊंची दीवारें थीं। लोग एक-दूसरे को कुचलकर उन दीवारों पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे। 

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लगभग 10 मिनट तक हुई गोलियों की बारिश के बाद हर तरफ सिर्फ लाशें ही लाशें नजर आ रही थीं। रिकॉर्ड के हिसाब से उस वक्त 379 लोगों की मौत हुई थी। मगर हकीकत तो ये कि थी 1000 से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ दिया था, जबकि 2000 से ज्यादा घायल हो गए थे। इतिहास में दर्ज सबसे भयंकर जनसंहारों में जलियांवाला बाग जनसंहार का भी नाम आता है। दरअसल जनरल डायर रौलेट एक्‍ट का समर्थक था। उसने इस हत्‍याकांड से एक्ट का विरोध करने वाले भारतीयों को डराने की कोशिश की लेकिन भारतीय इससे डरने की बजाय ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलित हो उठे।


इस हत्‍याकांड की दुनियाभर में आलोचना हुई। इसके बाद सेक्रेटरी ऑफ स्‍टेट एडविन मॉण्टेगू ने दबाव में आकर 1919 के अंत तक में इसकी जांच के लिए हंटर कमीशन बनाया। कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद डायर को कर्नल बनाकर वापस ब्रिटेन भेज दिया गया। डायर के खिलाफ हाउस ऑफ कॉमन्स ने निंदा प्रस्ताव पारित किया लेकिन हाउस ऑफ लॉर्ड ने इस हत्‍याकांड की तारीफ करते हुए उसका प्रशस्ति प्रस्ताव पारित किया। बाद में ब्रिटिश सरकार ने निंदा प्रस्‍ताव पारित किया।जिसकी वजह से 1920 में डायर को इस्‍तीफा देना पड़ा। वहीं इस हत्‍याकांड का बदला लेने के लिए 13 मार्च 1940 को ऊधम सिंह लंदन पहुंच गए और कैक्सटन हॉल में डायर को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। जिसके बाद 31 जुलाई 1940 को ऊधम सिंह को फांसी दे दी गई। 

 ये भी पढ़ें:  जलियांवाला बाग नरसंहार पर ब्रिटेन को माफी मांगनी चाहिए: लंदन मेयर


लंदन मेयर ने कहा था ब्रिटेन को माफी मांगनी चाहिए
लंदन के पहले एशियाई मूल के मेयर सादिक खान ने जलियांवाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी मांगने की बात कही थी। विजिटर बुक में उन्होंने लिखा था कि ये घटना बेहद शर्मनाक थी और ब्रिटिश सरकार की तरफ से वो भारतीयों से माफी मांगते हैं।

Created On :   13 April 2018 11:47 AM IST

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