मप्र चुनाव: दांव पर लगी है भाजपा-कांग्रेस के इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा
- कई सीटों पर टिकी हुई है सबकी निगाहें
- कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हुआ मतदान
- बीजेपी-कांग्रेस की कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान संपन्न हो चुका है। प्रदेश में हुए औसत मतदान के बीच अब यह देखना है कि जीत का सेहरा किसे बंधता है। मध्य प्रदेश में कई सीट ऐसी भी हैं, जिन पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
यहां दांव पर भाजपा की प्रतिष्ठा
बुधनी
मध्य प्रदेश में सबसे रोचक मुकाबला भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अरुण यादव के बीच है। अरुण यादव अपने नाम की घोषणा के बाद से ही यहां प्रचार में लग गए थे। कांग्रेस शिवराज को ज्यादा से ज्यादा समय इस सीट पर उलझाए रखना चाहती थी। पिछली बार 2013 में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ इस सीट पर महेंद्र सिंह चौहान ने चुनाव लड़ा था, जो 2018 के चुनाव में भोपाल की नरेला विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं। 2013 का चुनाव शिवराज ने 84 हजार वोट से जीता था।
इंदौर-3
इस सीट से भाजपा ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश को टिकट दिया है। 34 वर्षीय आकाश विजयवर्गीय के जीवन का ये पहला चुनाव है। विजयवर्गीय का मुकाबला कांग्रेस के अश्विन जोशी (58) से है। जोशी इस सीट से विधायक रह चुके हैं।
शिवपुरी
इस सीट से भाजपा ने यशोधरा राजे सिंधिया को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ सिद्धार्थ लाडा को मैदान में उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने काफी ध्यान दिया है।
खुरई
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह खुरई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ अरुणोदय चौबे को टिकट दिया है। 2013 में भूपेंद्र सिंह को 62,127 वोट मिले थे, जबकि अरुणोदय चौबे 56,043 वोट के साथ दूसरे नंबर पर थे।
भितरवार
इस सीट पर भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा पर भरोसा जताया है। उनके खिलाफ कांग्रेस ने लखन सिंह यादव को टिकट दिया है। लखन सिंह यादव 2013 में अनूप मिश्रा को 6,548 वोट से चुनाव हरा चुके हैं। मुरैना से बीजेपी सांसद अनूप मिश्रा संसद छोड़ विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
दतिया
इस सीट से मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता शिवराज सरकार में जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ राजेंद्र भारती को मैदान में उतार है।
रहली
इस विधानसभा सीट से भाजपा ने शिवराज सरकार में मंत्री गोपाल भार्गव को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने कमलेश साहू को मैदान में उतारा है। भार्गव ने 2013 में 50 हजार वोटों से विधानसभा चुनाव जीता था।
गोविंदपुरा
भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर भाजपा ने 10 बार से विधायक रहे बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया है। इस सीट पर कांग्रेस ने दो बार के पार्षद युवा चेहरा गिरीश शर्मा को मैदान में उतारा है।
बैतूल
इस विधानसभा सीट से भाजपा ने हेमंत खंडेलवाल तो कांग्रेस ने निलय डागा को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से एक मिथक जुड़ा हुआ है कि जिस पार्टी का प्रत्याशी इस सीट से जीतता है, सरकार उस दल की ही बनती है।
इन सीटों पर कांग्रेस के प्रतिष्ठा का सवाल
राऊ
इंदौर के पास राऊ सीट से कांग्रेस ने जीतू पटवारी को मैदान में उतारा है। पटवारी अपने बयानों से अकसर चर्चा में बने रहते हैं। भाजपा ने पटवारी के मुकाबले मधु वर्मा को टिकट दिया है।
झाबुआ
इस सीट से कांग्रेस ने वर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत को टिकट दिया है। विक्रांत भूरिया का मुकाबला भाजपा के गुमान सिंह दामोर से है।
चुरहट
ये सीट मध्य प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह यहीं के रहने वाले थे। इस सीट से अर्जुन सिंह के बेटे और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह विधायक हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने शरतेंदु तिवारी को मैदान में उतारा है। शरतेंदु तिवारी के दादा चंद्र प्रताप सिंह ने 1967 में अर्जुन सिंह को इस सीट से चुनाव हराया था।
भोजपुर
इस सीट पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी का मुकाबला शिवराज सरकार में मंत्री रहे भाजपा के सुरेंद्र पटवा से है। सुरेंद्र पटवा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे हैं।
Created On :   28 Nov 2018 9:21 AM IST