महात्मा गांधी पर चौथी गोली किसने चलाई, यहां छिपे हैं हत्या के रहस्य!
डिजिटल डेस्क, भोपाल। 30 जनवरी 2018 को महात्मा गांधी की 70वीं पुण्यतिथि है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद आज तक ये रहस्य अनसुलझा है कि अगर बापू को तीन गोली नाथूराम गोडसे ने मारी थी तो फिर चौथी गोली किसने चलाई थी? गांधी जी की हत्या में इस्तेमाल होने वाले हथियार का कनेक्शन मध्यप्रदेश के ग्वालियर से जुड़ा है।
एक अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक गोडसे ने गांधी जी की हत्या के लिए जिस पिस्तौल का इस्तेमाल किया था उसको ग्वालियर के डॉ. दत्तात्रेय परचुरे ने मुहैया कराई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो परचुरे के पास दूसरी पिस्तौल भी थी, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 719791 था। जबकि गांधी जी की हत्या में इस्तेमाल होने वाली पिस्तौल का रजिस्ट्रेशन नंबर 606824 मिला। इस केस में सबसे ताज्जुब करने वाली बात ये है कि ऐसी ही अन्य पिस्तौल उसी समय ग्वालियर के ही उदय चंद के पास भी थी।
डॉ. परचुरे ने गोडसे को एक पिस्तौल तो दी लेकिन उन्होंने उसे दूसरी पिस्तौल देने से मना कर दिया। बता दें कि गांधी जी की हत्या के बाद दोनों पिस्तौल जब्त कर ली गई थीं। एक पिस्तौल घटना स्थल से बरामद की गई थी, जबकि दूसरी डॉ. परचुरे के घर से मिली थी। अख़बार ने अपनी रिपोर्ट्स में बताया है कि उसके पास 15 फरवरी 1948 में ग्वालियर स्टेट के एसपी का साइन किया हुआ एक डॉक्युमेंट है, जिसमें लिखा है कि परचुरे और उदयचंद के पास एक ही सीरियल नंबर की पिस्तौल थीं। हालांकि पिस्तौल के स्वामित्व को लेकर जांच कभी पूरी नहीं हो पाई।
30 जनवरी 1948 को क्या हुआ था?
30 जनवरी 1948 का वो दिन जब बिड़ला हाउस (अब गांधी स्मृति) के बाहर नाथूराम गोडसे ने गांधी जी पर तीन गोलियां चलाई थीं। गांधी जी प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे तभी भीड़ के बीच से नाथूराम गोडसे ने उन पर तीन फायर कर दिया। गोली लगते ही गांधी जी गिर पड़े, भीड़ में चीख-पुकार मच गया। मौका-ए वारदात पर मौजूद गोडसे को पकड़ने वाले पहले इंसान हर्बर्ट रेनियर जूनियर थे। इसी अमेरिकी डिप्लोमैट ने सबसे पहले गोडसे को पकड़ा था। गांधी जी को तुरंत उनके कमरे तक ले जाया गया हालांकि तब तक उन्होंने प्राण त्याग दिए थे।
इतिहास की पुस्तकों में तीन गोलियों का उल्लेख और गांधी के द्वारा हे राम का उच्चारण पर भी सवाल खड़े हुए। बकौल नाथूराम गोडसे के शब्दों में "मैंने पहले गांधीजी का उनके महान कार्यों के लिए हाथ जोड़कर प्रणाम किया और दोनों लड़कियों को उनसे अलग करके फायर कर दिया। मैं दो गोली चलाने वाला था लेकिन तीन चल गई और गांधीजी आह कहते हुए वहीं गिर पड़े। गांधीजी ने हे राम का उच्चारण नहीं किया था।" इतिहास की पुस्तकों में यही वर्णित है कि महात्मा गांधी ने प्राण त्यागते वक्त हे राम कहा था।
गांधी जी की हत्या के बाद 4 फरवरी 1948 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया माधव सदाशिव गोलवलकर को गिरफ़्तार कर लिया गया। इसके बाद आरएसएस सहित कई हिंदूवादी संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन गोलवलकर के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिलने के कारण छह महीने बाद 5 अगस्त 1948 को रिहा कर दिया गया।
भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल ने आरएसएस को क्लिन चीट दे दिया और 11 जुलाई 1949 को आरएसएस पर लगाए गए प्रतिबंध को खत्म करने की घोषणा कर दी। सरदार पटेल ने इस बात को खुद स्वीकार किया कि महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं। 17 मई 1949 को नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा हो गई।
Created On :   28 Jan 2018 7:46 PM IST