गोवा डीजीपी कुर्सी को लेकर दिल्ली में मैराथन!
नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। सन् 1988 बैच अग्मूटी कैडर के आईपीएस प्रणव नंदा के आकस्मिक निधन से खाली हुई गोवा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की कुर्सी को लेकर दिल्ली की आईपीएस लॉबी में घमासान शुरू हो गया है। मैराथन में दौड़ सब रहे हैं, मगर मुंह खोलने को कोई राजी नहीं है।
सोमवार और मंगलवार को भी दिनभर देश के तमाम आईपीएस और दिल्ली पुलिस मुख्यालय (जयसिंह रोड स्थित नया मुख्यालय और आईटीओ स्थित पुराना पुलिस मुख्यालय) में बैठे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों (आईपीएस तबका) में यही चर्चा होती देखी-सुनी गई।
इन चर्चाओं में अपनी पसंद/मंशा कोई जाहिर नहीं कर रहा था। सब सामने वाले से पूछ रहे थे.. गोवा कौन जाएगा? मतलब, प्रणव नंदा के निधन के बाद खाली हुई गोवा के पुलिस महानिदेशक की कुर्सी पर बैठकर कौन ठाठ करेगा?
फिलहाल अस्थायी रूप से गोवा के डीजीपी का कामकाज सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी आईजी गोवा आईपीएस जसपाल सिंह के कंधों पर दी गई है। जैसे ही कोई पूर्णकालिक डीजी पहुंचेगा जसपाल सिंह अपने पद का कामकाज देखने लगेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, गोवा का डीजीपी बनने की चचोओं में सबसे ऊपर जो नाम हैं, उनमें 1985 बैच के अग्मूटी कैडर के आईपीएस एस.एन. श्रीवास्तव (सच्चिदानंद श्रीवास्तव, वर्तमान में केंद्रीय सुरक्षा बल में विशेष निदेशक), 1986 बैच के और फिलहाल दिल्ली में तैनात राजेश मलिक, एस. नित्यानंदम, 1987 बैच के और फिलहाल केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात सतेंद्र गर्ग, दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त (यातायात) ताज हसन, 1988 बैच के और फिलहाल पुद्दुचेरी के पुलिस महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव, दिल्ली में विशेष पुलिस आयुक्त (ऑपरेशंस) डॉ. मुक्ते श चंद्र, मिजोरम के मौजूदा पुलिस महा-निदेशक शशि भूषण कुमार सिंह (एसबीके सिंह), फिलहाल दिल्ली में विशेष आयुक्त (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) अरविंद दीप प्रमुख हैं। हालांकि इन दिनों दिल्ली में विशेष आयुक्त (सतर्कता) सुंदरी नंदा (डीजीपी गोवा रहे प्रणव नंदा की धर्मपत्नी) भी हैं तो 1988 बैच की ही आईपीएस। उनके नाम पर सरकार उनसे ही विचार-विमर्श के बाद कोई निर्णय ले पाने की स्थिति में होगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सरकार के सामने भी गोवा डीजीपी के लिए कई काबिल नामों की इतनी बड़ी लिस्ट है कि वह भी फिलहाल कुछ तय नहीं कर पा रहा है। इसकी प्रमुख वजह है संसद के सत्र की शुरुआत हो जाना। हालांकि, केंद्रीय गृह-मंत्रालय अपने स्तर से गोवा को एक कुशल डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) देने की कोशिशों के तहत युद्ध-स्तर पर फाइलें खंगालने में जुटा है, ताकि अगर संसद सत्र के दौरान ही मंत्रालय, गोवा डीजीपी का नाम मांग ले, तो हाथों-हाथ फाइल ओके करवाई जा सके।
केंद्रीय गृह-मंत्रालय से लेकर दिल्ली, गोवा तक चल रही चर्चाओं पर अगर गौर करें, तो फिलहाल 1989 बैच के आईपीएस और दिल्ली में महानिदेशक (जेल) संदीप गोयल, चंडीगढ़ के मौजूदा पुलिस प्रमुख संजय बेनीवाल, दिल्ली में विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था आर.एस. कृष्णया (रणवीर सिंह कृष्णया) का नाम भी इधर-उधर आ-जा रहा है।
कहने को इन दो-तीन दिनों में 1990 बैच के और कल तक दिल्ली में उत्तरी परिक्षेत्र के विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) रहे संजय सिंह का भी नाम कहीं कहीं लिया-छोड़ा जा रहा है। हालांकि तीस हजारी कांड में विवादित होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर विशेष आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) उत्तरी परिक्षेत्र की कुर्सी से हाथ धोए बैठे संजय सिंह को मौजूदा हालातों में गोवा पुलिस महानिदेशक की कुर्सी दूर की कौड़ी ही साबित होगी।
इसकी तीन मजबूत वजह हैं, पहली वजह तीस हजारी कांड का कथित कलंक हटने तक संजय सिंह शायद खुद भी दिल्ली नहीं छोड़ना चाहेंगे। दूसरे, इतना बबाल मचने के बाद केंद्र सरकार उनके नाम पर सिर्फ चर्चाओं के आधार पर विचार क्यों करेगी? तीसरी और आखिरी प्रमुख वजह, संजय सिंह के नाम पर चर्चा से पहले, उनसे भी तमाम वरिष्ठ और काबिल आईपीएस अफसरों को नजरंदाज कर पाना सरकार को बेहद मुश्किल होगा।
चर्चाओं के मुताबिक, एसएन श्रीवास्तव की नजर दिल्ली में ही बने रहकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कुर्सी पर भी लगी हो सकती है! हालांकि उनकी राह के रोड़े भी कम नहीं हैं। लिहाजा, इन हालात में वे दिल्ली छोड़कर गोवा जाने के मोहपाश में बिलकुल फंसने को राजी नहीं होंगे। दूसरे, वरिष्ठता क्रम, अनुभव, योग्यता और बेदाग अतीत, उन्हें ही गोवा की गद्दी के लिए योग्य साबित करते हैं। कहने को भले ही उनके रिटायरमेंट में अभी वाजिब वक्त भी बचा है।
दिल्ली में तैनात विशेष पुलिस आयुक्त राजेश मलिक इसी माह के अंत में रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में उनके नाम पर सरकार माथा-पच्ची लाख चर्चाओं के बाद भी नहीं करेगी। एस. नित्यानंदम गोवा के डीजीपी भले रहे चुके हों, मगर अगले साल 31 अगस्त को उनका रिटायरमेंट निर्धारित है। लिहाजा, वे भी गोवा की गद्दी की दौड़ से खुद को बाहर मानें।
सतेंद्र गर्ग केंद्र में एन.आर.सी. वाला मामला देख रहे हैं। ऐसे में सरकार उन्हें हटाकर गोवा की गद्दी सौंपने को शायद ही राजी हो। हालांकि सतेंद्र गर्ग के रिटायरमेंट में (31 मई, 2022) अच्छा-खासा वक्त बाकी है। फिलहाल दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त ताज हसन के रिटायरमेंट (31 दिसंबर 2023) खासा वक्त है। ताज हसन निर्विवाद भी माने-कहे-सुने जाते हैं।
कहने को तो पुद्दुचेरी के मौजूदा पुलिस महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव को भी गोवा भेजे जाने की चर्चाएं हैं, मगर सवाल यह उठता है कि वो डीजी पद पर ही तैनात हैं। ऐसे में वह पुद्दुचेरी से गोवा की रेस में बे-वजह ही क्यों शामिल होना चाहेंगे।
मुक्ते श चंद्र गोवा के डीजीपी रह चुके हैं। उन्हें अनुभव तो है गोवा की गद्दी संभालने का, लेकिन वो चंद महीने पहले ही गोवा में लंबा वक्त बिताकर लौटे हैं। लिहाजा, उनके नाम की चर्चाओं को विराम देना ही उचित है। बालाजी श्रीवास्तव वाली ही स्थिति में मिजोरम के मौजूदा पुलिस महानिदेशक शशि भूषण कुमार सिंह हैं। वे भी भला गोवा क्यों जाना चाहेंगे? उसी पद पर जिस पर मिजोरम में तैनात हैं।
अरविंद दीप का रिटायरमेंट जरूर 31 अक्टूबर, 2022 में होगा, मगर वे भी हाल-फिलहाल में ही बाहर की पोस्टिंग काटकर दिल्ली लौटे हैं।
संदीप गोयल भी डीजीपी अरुणाचल रहकर कुछ महीने पहले ही दिल्ली पहुंचे हैं। लिहाजा, इन चर्चाओं से उन पर भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। बालाजी श्रीवास्तव, संदीप गोयल, शशि भूषण कुमार सिंह वाली ही स्थिति कमोबेश चंडीगढ़ के मौजूदा पुलिस प्रमुख संजय बेनीवाल की भी है। वो भी हाल ही में चंडीगढ़ के बॉस बने हैं। तो उन्हें भी सरकार न हटाना चाहेगी और वे गोवा की गद्दी के गठजोड़ की दौड़ में शामिल होना भी नहीं चाहेंगे।
इस अनुमान से अंत में गोवा की गद्दी की दौड़ में सबसे आगे आर.एस. कृष्णया और उनके पीछे ताज हसन ही ठीक-ठाक उम्मीदवार अगर आने वाले चंद दिनों में निकल आएं, तो अचरज नहीं। वैसे हुकूमत और हुक्मरान जिसे चाहें अपने उस पसंदीदा आईपीएस को गोवा की गद्दी पर सजा सकते हैं। आईएएनएस तो ऑफ द रिकार्ड चर्चाओं पर चर्चा कर रही है।
Created On :   19 Nov 2019 10:00 PM IST