जनसंख्या नियंत्रण कानून पर 15 अगस्त से पहले स्पष्ट हो सकता है मोदी सरकार का रुख

Modi governments stance on population control law may be clear before August 15
जनसंख्या नियंत्रण कानून पर 15 अगस्त से पहले स्पष्ट हो सकता है मोदी सरकार का रुख
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नई दिल्ली, 20 जुलाई (आईएएनएस)। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर इस बार स्वतंत्रता दिवस से पहले मोदी सरकार का रुख स्पष्ट हो सकता है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर 14 अगस्त को केंद्र सरकार जवाब दाखिल करेगी। देश मे लंबे समय से उठ रही जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग के मद्देनजर सरकार के रुख पर अब सभी की निगाहें हैं।

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने भी जनसंख्या विस्फोट पर चिंता जताते हुए कहा था कि इससे अनेक संकट पैदा होते हैं। सीमित परिवार रखने को उन्होंने देशभक्ति से जोड़ा था। ऐसे में एक बार फिर 15 अगस्त से पहले इस मुद्दे पर हो रही सुनवाई को लेकर हलचल है।

दरअसल, भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की दाखिल याचिका पर बीते 10 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के साथ विधि एवं न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। मगर, छह महीने तक केंद्र सरकार ने जवाब नहीं दाखिल किया तो याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए। याचिकाकर्ता ने साइलेंस इज ऐक्सेप्टेंस की बात कहते हुए कहा कि सरकार के जवाब न दाखिल करने का मतलब है कि वह इसे स्वीकार कर रही है।

बीते 13 जुलाई को सुनवाई के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट ने फिर केंद्र सरकार से इस मसले पर जवाब-तलब किया तो सरकार ने कहा है कि उसे चार हफ्ते का वक्त चाहिए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त तक समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए यह तिथि तय की है।

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएसस से कहा, 14 अगस्त तक केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून पर जवाब दाखिल करना है। जवाब से ही पता चल जाएगा कि सरकार इस कानून पर क्या सोचती है? हम दो हमारे दो कानून के जरिए देश की करीब 50 फीसदी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक, वाजपेयी सरकार में जस्टिस वेंकट चलैया की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग गठित हुआ था। दो साल तक संविधान की समीक्षा के बाद वेंकटचलैया कमीशन ने संविधान में अनुच्छेद 47 ए जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था। कमीशन ने यह भी कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण कानून मानवाधिकार या किसी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन नहीं करता।

अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, वेंकटचलैया कमीशन ने केंद्र सरकार को 31 मार्च 2002 को रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर आरटीआई, राईट टू फूड और राईट टू एजुकेशन, जैसे अहम कानून देश में आगे चलकर बने। मगर, जनसंख्या नियंत्रण कानून की सिफारिशों पर सरकारों ने ध्यान नहीं दिया।

Created On :   20 July 2020 7:00 PM IST

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