राम मंदिर का विरोध करने वाले मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं : शिया वक्फ बोर्ड

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक बार फिर से अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की पैरवी की है। उन्होंने राम मंदिर का विरोध करने वाले मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की नसीहत दी है। रिजवी ने कहा कि जो लोग भी अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के खिलाफ है, वो पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाएं। बता दें कि अयोध्या विवाद पर 8 फरवरी से सुनवाई शुरू होनी है।
देश को बर्बाद करने की कोशिश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि "जो मुसलमान अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं, वो पाकिस्तान या बांग्लादेश चले जाएं।" उन्होंने कहा कि "जो लोग मस्जिद के नाम पर जेहाद को बढ़ावा देना चाहते हैं, उन्हें सीरिया जाकर ISIS जॉइन कर लेनी चाहिए।" इसके साथ ही रिजवी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं पर हमला करते हुए बोला कि "मुस्लिम धर्मगुरू देश को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए उन्हें भी पाकिस्तान या अफगानिस्तान चले जाना चाहिए।"
रिजवी को गिरफ्तार किया जाए : मुस्लिम धर्मगुरू
वहीं वसीम रिजवी के इस बयान की कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने आलोचना की है। शिया उलेमा काउंसिल के मौलाना इफ्तेखार हुसैन ने वसीम रिजवी को अपराधी बताते हुए दावा किया कि उनके खिलाफ करप्शन के कई केस हैं और वो खुद को बचाने के लिए ऐसे नाटक कर रहे हैं। मौलाना हुसैन ने कहा कि रिजवी माहौल को खराब कर रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
रिजवी पहले भी दिखा चुके हैं रामभक्ति
ये कोई पहली बार नहीं है जब वसीन रिजवी भगवान राम की भक्ति में रंगे दिखाई दिए हैं। रिजवी को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान का करीबी माना जाता है, लेकिन सरकार बदलते ही उनपर भगवा रंग छा गया। इससे पहले भी रिजवी अपनी रामभक्ति दिखा चुके हैं। उन्होंने पहले ये बात मानी थी कि, अयोध्या में राम मंदिर था, जिसे बाद में बाबर ने तोड़ दिया और यहां मस्जिद बनवा दी। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए ये भी आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के इशारे पर कुछ मौलाना अयोध्या मसले को सुलझने नहीं दे रहे हैं।
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राम के लिए चांदी की तीरों की भी पेशकश
इसके साथ ही शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अयोध्या में लगने वाली 332 फीट ऊंची मूर्ति के लिए जमीन और भगवान राम के धनुष के लिए चांदी के 10 तीर देने की पेशकश भी कर चुके हैं। इसके लिए बोर्ड चेयरमैन ने बाकायदा सीएम योगी को एक लेटर भी लिखा था। इस बारे में बोर्ड चेयरमैन रिजवी का कहना है कि, वक्फ बोर्ड के पास बहुत सी जमीन खाली पड़ी है। सरकार चाहे तो हम वो जमीन भगवान राम की मूर्ति के लिए दे सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि न सिर्फ जमीन बल्कि हम बोर्ड की तरफ से मूर्ति के लिए चांदी के 10 तीर भी देना चाहते हैं।
राम मंदिर बनाने की पेशकश कर चुके हैं रिजवी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी अयोध्या मसले पर सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने विवादित जगह पर राम मंदिर बनाए जाने की पेशकश की थी। शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट पेश किया गया था, जिसमें कहा गया था कि, विवादित जगह पर राम मंदिर बने जबकि इससे थोड़ी दूरी पर मस्जिद बनाई जाए। बोर्ड का कहना था कि अगर मंदिर-मस्जिद को साथ बनाया गया तो यहां पर रोज विवाद देखने को मिलेंगे। वक्फ बोर्ड ने एफिडेविट में कहा था कि 1946 तक ये जमीन शिया वक्फ बोर्ड के पास थी लेकिन ब्रिटिशर्स ने गलत तरीके से इस जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया था। बोर्ड ने कहा कि वो इस पूरे विवाद को शांति से निपटाना चाहता है।
8 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
पिछले साल 5 दिसंबर को अयोध्या विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में की गई थी। 3 जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगले साल 8 फरवरी की तारीख दी है। अब 8 फरवरी 2018 को अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई फिर से सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी। वहीं इस सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के एडवोकेट और कांग्रेस लीडर कपिल सिब्बल ने इस मामले की सुनवाई 2019 तक टालने की बात कही थी। हालांकि, चीफ जस्टिस ने साफ कर दिया है कि 8 फरवरी के बाद इस मामले की सुनवाई नहीं टाली जाएगी।
हाईकोर्ट ने 3 हिस्सों में बांटने का दिया था आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2010 में दिए अपने फैसले में इस पूरी विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने को कहा था। तीन जजों की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए 2.77 एकड़ के इस पूरे विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बांटने का फैसला सुनाया था। हाइकोर्ट के इस फैसले को तीनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी। ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और इस पर 8 फरवरी से सुनवाई शुरू होनी है।
क्या है पूरा विवाद?
अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1530 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
Created On :   3 Feb 2018 11:26 AM IST