ऑपरेशन जैकबूट के तहत नायकू की मौत अभी तक की श्रेष्ठ सफलता

Naikus death under Operation Jackboot is still the best success
ऑपरेशन जैकबूट के तहत नायकू की मौत अभी तक की श्रेष्ठ सफलता
ऑपरेशन जैकबूट के तहत नायकू की मौत अभी तक की श्रेष्ठ सफलता

श्रीनगर, 6 मई (आईएएनएस)। भारतीय सुरक्षाबलों की ओर से हिजबुल के मुख्य कमांडर रियाज नायकू को बुधवार को मार गिराया गया। इस काम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के नेतृत्व में ऑपरेशन जैकबूट के तहत अंजाम दिया गया, जिसके बारे में दावा किया गया है कि यह अभी तक की श्रेष्ठ लक्ष्य को प्राप्त करने वाली सफलता है।

पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां जैसे दक्षिण कश्मीर के जिलों में आतंकवादियों का कहर बढ़ने के बाद डोभाल ने इस ऑपरेशन का नाम जैकबूट रखा था।

सुरक्षा बलों के लिए होमग्रोन उग्रवाद यानी हमारी ही सीमाओं के अंदर पैदा हो रहे आतंकी एक बड़ी समस्या बन गए थे। हिजबुल का पोस्टर बॉय और मुख्य कमांडर रहा बुरहान वानी कश्मीरी युवाओं का चेहरा बनकर उभरा था। बुरहान के समूह में उसके सहयोगी सबजार भट, वसीम मल्ला, नसीर पंडित, इश्फाक हमीद, तारिक पंडित, अफाकुल्लाह, आदिल खांडे, सद्दाम पद्दार, वसीम शाह और अनीस शाह जैसे आतंकी भी नापाक गतिविधियों में शामिल होते चले गए।

इस तरह से यह कहा जा सकता है कि देश से बाहर के आतंकवादियों को उतनी अहमियत देने की जरूरत ही नही रही, क्योंकि 11 स्थानीय चेहरे ही घाटी के युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पर्याप्त थे।

कई शिक्षित व बेरोजगार कश्मीरी युवाओं को बुरहान गिरोह में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया।

स्थानीय पुलिसकर्मियों को प्रताड़ित किया गया और कई मामलों में उन्हें आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल होने पर मार दिया गया।

घाटी में यह सामान्य सी बात हो चली थी कि जब भी स्थानीय आतंकवादियों का कोई समूह इन जिलों के किसी भी गांव में दिखाई देता था तो वे बिना किसी भय या फंसे होने के डर से गुनगुनाते और पार्टी करते हुए दिखाई देते थे।

उन्होंने स्थानीय मुखबिरों का एक शक्तिशाली नेटवर्क बनाया था, क्योंकि बुरहान समूह के सभी 11 सदस्य स्थानीय थे।

इनके मजबूत नेटवर्क को इसी बात से समझा जा सकता है कि सुरक्षाबलों की किसी भी प्रकार की गतिविधि का आतंकी समूह को समय रहते ही पता चल जाता था।

यही वजह है कि इन आतंकवादियों का नेटवर्क तोड़ने और इनके बड़े चेहरों के खात्मे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सख्त कदम उठाने पड़े।

ऑपरेशन जैकबूट में ऐसे कमांडरों को भी टारगेट पर रखा गया, जो कि उस तस्वीर में नहीं थे, जो बुरहान को उसके 10 साथियों के साथ वायरल हुई थी।

उदाहरण के लिए हिजबुल का एक शीर्ष कमांडर और बुरहान का करीबी सहयोगी लतीफ टाइगर तीन मई 2019 को शोपियां जिले में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए तीन आतंकवादियों में से एक था और यह बुरहान की टीम में वायरल हुई तस्वीर में भी शामिल नहीं था।

बुरहान के खात्मे के बाद हिजबुल को एक स्थानीय चेहरे की सख्त जरूरत थी, जिससे होमग्रोन आतंकवाद और स्थानीय युवाओं को अधिक संख्या में शामिल कराने के लिए वह पोस्टर बॉय बन सके।

इसके लिए रियाज नायकू से बेहतर कोई नहीं हो सकता था। नायकू एक शिक्षित स्कूली शिक्षक था, जो गणित में पारंगत माना जाता था। इसके अलावा वह एक चित्रकार भी था, जिसे पेंटिंग करना पसंद था। वह बुरहान की तरह ही कभी-कभी चश्मा पहनता था।

पिछले दिनों नायकू वांछित (मोस्ट वांटेड) आतंकवादी कमांडर बन गया था और इसके लिए उसके सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। बुरहान वानी को मौत के घाट उतारे जाने के आठ महीने बाद ही नाइकू का हिजबुल मुजाहिदीन समूह में कद भी बढ़ गया।

भारतीय सुरक्षाबलों ने तीन मई को मारे गए सुरक्षाकर्मियों की मौत का बदला बुधवार को ले लिया। नायकू की मौत सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता मानी जा रही है।

Created On :   6 May 2020 3:00 PM GMT

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