किताबों की महंगाई का बोझ होगा कम, स्कूलों में सस्ती मिलेंगी NCERT Books

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। स्टूडेंट्स और पैरेंट्स पर पड़ने वाला किताबों की महंगाई का बोझ कुछ हद तक कम होने वाला है, क्योंकि अब से सभी सरकारी और निजी स्कूलों के छात्रों को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबें बहुत ही कम दाम पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
संघीय स्कूल शिक्षा और साक्षरता मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप ने शिक्षा पर यहां आयोजित एसोचैम कार्यक्रम के इतर संवाददाताओं से कहा कि विकल्प मुहैया कराए जाने चाहिए और स्कूली छात्रों को विकल्प दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, अभी तक की सूचना के मुताबिक सीबीएसई के 20 हजार स्कूल हैं और इन स्कूलों के छात्र 13 करोड़ किताब पढ़ते हैं। लेकिन NCERT की किताबों की अधिकतम कीमत जहां 50 रुपए है, वहीं गैर NCERT किताबों की कीमत 300 रुपए तक है।
उन्होंने कहा कि NCERT की किताब खरीदकर 20 हजार स्कूल 650 करोड़ रुपए खर्च करते हैं, लेकिन गैर NCERT प्रकाशकों के लिए उन्हें 3900 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ता है। यह छोटा अंतर नहीं है। मैं स्कूली छात्रों पर पड़ने वाले विाीय बोझा को लेकर चिंतित हूं - कोई गुणवत्तापूर्ण तुलना नहीं है।
किताबों से हटाया रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम, हंगामा
मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में NCERT की किताबों से विश्व कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम हटाने का मुद्दा उठाया। ब्रायन ने शून्यकाल में उत्तेजित होकर कहा कि RSS से जुड़े शिक्षा समिति उठान न्यास के दीनानाथ बत्रा ने NCERT को 100 सुझाव दिए हैं, जिनमें टैगोर का नाम हटाये जाने की बात भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि टैगोर को किसी से कोई सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है, बत्रा कौन होते है? इस तरह के सुझाव देने वाले, क्या वह प्रचार के लिए ऐसा कर रहे हैं? सरकार इस मुद्दे पर स्थिति साफ़ करे। वह इतने उत्तेजित हो गए कि जावड़ेकर की सीट के पास जाकर उन्हें कुछ किताबें दीं। संसदीय कार्य मंत्री ने ब्रायन से किताबें ले ली।
जावड़ेकर ने दिया स्पष्टीकरण
उपसभापति कुरियन ने भी जावड़ेकर को स्थिति स्पष्ट करने को कहा तब जावेडकर ने कहा कि उन्हें यह स्पष्ट करने दें कि NCERT की किताबों में केवल तथ्यात्मक गलतियां खोजने का काम शिक्षकों को दिया गया है। अब तक 100 से अधिक सुझाव आए हैं।
Created On :   25 July 2017 11:07 PM IST