चार दिवसीय भारत यात्रा पर आए नेपाल थल सेनाध्यक्ष को मानद पद से नवाजा गया
- सेना प्रमुखों को उपाधि की प्रस्तुति एक अनूठी सैन्य परंपरा
डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल के थल सेनाध्यक्ष जनरल प्रभु राम शर्मा मंगलवार को भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आए है। प्रभु राम शर्मा अपने भारतीय समकक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के निमंत्रण पर नई दिल्ली आए हुए है। नेपाल सेना से मिली जानकारी के अनुसार जनरल शर्मा अपने प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा सचिव अजय कुमार के साथ-साथ तीनों सेना प्रमुखों से मुलाकात करेंगे। मंगलवार को जनरल प्रभु राम शर्मा को भारतीय सेना में जनरल के मानद पद से नवाजा गया, जो दोनों सेनाओं के बीच लंबे समय से चली आ रही परंपरा है। यह सम्मान उन्हें भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदने दिया है। इसी तरह की उपाधि जनरल नरवणे को तब प्रदान की गई थी जब उन्होंने नवंबर 2020 में नेपाल का दौरा किया था। दोनों देशों के सेना प्रमुखों को उपाधि की प्रस्तुति एक अनूठी सैन्य परंपरा के रूप में बनी हुई है।
दिल्ली: नेपाल सेना प्रमुख जनरल प्रभुराम शर्मा को साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। नेपाल सेना प्रमुख ने इसके बाद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर भारत के सेना प्रमुख एम. एम. नरवणे भी मौजूद थे। pic.twitter.com/k4tS8ugIap
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 9, 2021
द काठमांडू पोस्ट के मंगलवार के संस्करण में प्रकाशित एक लेख में नेपाल सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल संतोष बल्लावे पौडयाल ने कहा कि दोनों सेनाओं के बीच मानद उपाधियों का सम्मान एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है, लेकिन इस यात्रा में कई अन्य पहलू शामिल हैं जो दोनों देशों के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पौडयाल ने कहा कि यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक रणनीतिक माहौल में बदलाव के कारण नेपाल की विदेश नीति दबाव में है। नेपाल भारत-चीन संबंधों में बढ़ती दरारों से पैदा हुई प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है, जो पारंपरिक रणनीतिक को संवारने के पुनसर्वेक्षण के लिए रास्ता खोल रहा है। और द्विपक्षीय मुद्दों के समाधान के लिए अनुकूल माहौल तैयार करें। नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध भी परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। इस यात्रा को केवल प्रतीकात्मक परंपरा की निरंतरता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके बजाय इसे रचनात्मक जुड़ाव के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।
(आईएएनएस)
Created On :   9 Nov 2021 1:30 PM IST