निर्भया कांड : जल्लाद को सतर्क रहने और कम बोलने की हिदायत

Nirbhaya scandal: Instruct the executioner to be alert and speak less
निर्भया कांड : जल्लाद को सतर्क रहने और कम बोलने की हिदायत
निर्भया कांड : जल्लाद को सतर्क रहने और कम बोलने की हिदायत

नई दिल्ली, 14 दिसम्बर (आईएएनएस)। निर्भया दुष्कर्म और हत्याकांड के मुजरिमों की फांसी के अंतिम फैसले पर मुहर लगने का वक्त जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, इस मामले से जुड़ी कोई न कोई नई जानकारी बाहर आ रही है। दिल्ली में जहां तिहाड़ जेल नंबर-3 में मौजूद फांसी-घर की साफ-सफाई के बाद उसकी सुरक्षा मजबूत कर दी गई है, वहीं दूसरी ओर निर्भया के मुजरिमों को फांसी चढ़ाने वाले संभावित जल्लादों में सबसे आगे चल रहे उप्र के मेरठ शहर निवासी पुश्तैनी जल्लाद पवन कुमार को जेल अफसरों ने तमाम हिदायतें देनी शुरू कर दी हैं।

जल्लाद पवन ने शनिवार को आईएएनएस से फोन पर हुई खास बातचीत में कहा, अब मैं मोबाइल पर या फिर मीडिया से तब तक ज्यादा बात नहीं करूंगा, जब तक निर्भया हत्याकांड के चारों मुजरिमों की मौत की सजा पर कोई अंतिम फैसला नहीं आ जाता।

एक सवाल के जबाब में पवन ने कहा, दरअसल मैं अब तक मीडिया से इस मुद्दे पर खुलकर बात कर रहा था। मेरी भी दिली ख्वाहिश है कि मैं ही निर्भया के हत्यारों को फांसी के फंदे पर झुलाने पहुंचूं। मामला बेहद पेंचीदा और संवेदनशील है। जब से तिहाड़ जेल प्रशासन ने बेहद गोपनीय तरीके से उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन से जल्लाद को लेकर बातचीत शुरू की है, तब से मुझ पर काफी कुछ पाबंदियां लगा दी गई हैं।

ये पाबंदियां किसने और कब से लगाई हैं? पवन ने कहा, मेरठ जेल के अफसरों ने सलाह दी है कि मैं अब कुछ दिनों तक किसी से ज्यादा बातचीत न करूं। साथ ही भीड़-भाड़ से दूर रहूं। शहर के बाहर भी कहीं न आऊं-जाऊं। अपनी सेहत का ख्याल रखूं।

पवन ने आगे कहा, उन्होंने (मेरठ जेल के कुछ अफसर) मुझे कुछ दिन बेहद सतर्क रहने की हिदायत भी दी है। मुझसे कहा गया है कि मैं अपनी हिफाजत को लेकर बेहद सतर्क रहूं। ऊपर (राज्य जेल प्रशासन) से कभी भी कोई आदेश (निर्भया के मुजरिमों की फांसी पर तिहाड़ जेल पहुंचने का फरमान) आने की प्रबल संभावना है।

क्या मेरठ जेल वालों ने निर्भया के हत्यारों को फांसी पर लटकाने की तैयारियों के बारे में भी कोई खबर दी है? पुश्तैनी जल्लाद पवन ने कहा, नहीं, निर्भया कांड का नाम तो नहीं लिया है। मगर जिस तरह से मीडिया में खबरें चल रही हैं, उससे लगता है कि मेरठ जेल वालों ने मुझे इसी मामले को लेकर सतर्क रहने को कहा है।

पवन ने आगे कहा, मुझे कोई तैयारी नहीं करनी है। डेथ वारंट की खबर मिलने पर मुझे तिहाड़ जेल में पहुंचने के बाद सिर्फ 45 मिनट चाहिए चारों मुजरिमों को फांसी के तख्ते पर झुलाने के लिए। मीडिया में आ रही खबरों में ही मैंने सुना, देखा, पढ़ा है कि निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर चढ़ाए जाने के लिए रस्से तिहाड़ जेल प्रशासन बक्सर (बिहार) में तैयार करा रहा है। बात में कितना दम है मुझे नहीं पता।

चार मुजरिमों को एक साथ एक जल्लाद फांसी कैसे चढ़ा पाएगा, जबकि चारों की मौत की सजा पर अदालत की अंतिम मुहर के बाद चारों को एक साथ ही फंदे पर लटकाया जाना जरूरी होगा? पवन जल्लाद ने आईएएनएस से कहा, एक साथ चार फंदे टांगूंगा। फिर एक-एक करके चारों मुजरिमों को पहले पीछे की ओर (पीठ की तरफ) दोनों हाथ, फिर रस्सी से दोनों पांव बांध दूंगा। चारों को गले में फंदा डालकर खड़ा कर दूंगा। जैसे ही जेलर रुमाल हिलाकर इशारा करेगा, एक साथ चारों ही फंदों के तख्ते का लीवर खींच दूंगा। आधे घंटे या फिर 45 मिनट बाद मौत के कुंए में लटक रहे शवों की पड़ताल के लिए सबसे पहले मैं (जल्लाद) और एक डॉक्टर उतरेगा। जब डॉक्टर और जल्लाद चारों की मौत हो जाने का इशारा करेंगे तब कुंए के भीतर मौजूद लाइट्स (बल्बों) को जलाकर रोशनी की जाएगी। उसके बाद जल्लाद और डॉक्टर के इशारे पर फांसी घर के कुएं से चंद कदम दूर खड़े जेलर साहब कुंए की तरफ बढ़ेंगे और मौका-मुआयना करने के बाद कागज पर मौके के हालात लिखित में दर्ज करेंगे।

-- आईएएनएस

Created On :   14 Dec 2019 12:30 PM GMT

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