नीतीश ने एनआरसी, एनपीआर के बहाने 1 तीर से साधे कई निशाने

Nitish shoots several targets with 1 arrow under the pretext of NRC, NPR
नीतीश ने एनआरसी, एनपीआर के बहाने 1 तीर से साधे कई निशाने
नीतीश ने एनआरसी, एनपीआर के बहाने 1 तीर से साधे कई निशाने
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  • नीतीश ने एनआरसी
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पटना, 26 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर अपने मनमुताबिक प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास करवाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकबार फिर खुद को कुशल राजनेता साबित करते हुए जद (यू) के एक तीर से कई निशाने साधे हैं।

बिहार की राजनीति को ठीक से समझने और कुशल रणनीतिकार माने जाने वाले नीतीश ने विधानसभा में विपक्ष के एनपीआर और एनआरसी के हंगामे के बीच ही तत्काल यह निर्णय लिया। एनपीआर पर बहस के दौरान ही मुख्यमंत्री ने सदन अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी से कहा कि इस पर एक प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए। जद (यू) की सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी शायद इसके लिए तैयार नहीं थी।

वैसे, कहा यह भी जा रहा है कि नीतीश इस चुनावी वर्ष में राज्य में शांति चाहते हैं, जिससे बिहार में चल रहे विकास के कार्यो को गति मिल सके। इस कारण उन्होंने इन विवादों को समाप्त करने की कोशिश की और विपक्ष के मुद्दे की हवा निकाल दी।

राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर कहते हैं, नीतीश की पहचान विकास को लेकर है। नीतीश राज्य में अमन-चैन कायम कर विकास पर काम करना चाहते हैं, इस कारण उन्होंने इन विवादास्पद मुद्दों पर पूर्णविराम लगा दिया।

उन्होंने कहा कि भाजपा की लाइन भी यही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि एनआरसी पर अब तक कोई विचार नहीं किया गया है। सिर्फ सीएए लागू हुआ है।

मुख्यमंत्री ने इस निर्णय से ना केवल एक झटके में विपक्ष से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया, बल्कि भाजपा को भी यह संदेश दे दिया कि जद (यू) किसी की पिछलग्गू नहीं, बल्कि अपनी नीतियों के साथ राजनीति करती है। नीतीश ने अपने इस निर्णय से ऐसे आलोचकों को भी जवाब देने की कोशिश की, जो लोग नीतीश पर भाजपा का पिछलग्गू बनने का आरोप लगाते रहते थे।

राजनीति के जानकार संतोष सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश ने चुनावी साल में यह मास्टर स्ट्रोक चला है। इससे ना केवल विपक्ष का मुद्दा हाथ से छीन लिया, बल्कि कम्युनिस्ट नेता कन्हैया कुमार के मुद्दे की भी हवा निकाल दी और भाजपा को भी आईना दिखा दिया।

उन्होंने कहा कि नीतीश ने भाजपा को भी इस कदम से संदेश देने की कोशिश की है कि जद (यू) अपनी नीतियों पर चलेगी। सिंह हालांकि यह भी कहते हैं कि चुनाव में जद (यू) को इससे कितना फायदा होगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी।

सूत्र कहते हैं कि बिहार की राजनीति में बीते दो दशक से भाजपा, राजद और जद (यू) तीन मुख्य दल हैं। तीन में से दो जब भी साथ रहेंगे, सरकार उन्हीं की बनने की संभावना अधिक होगी। यही कारण है कि भाजपा भी इस मामले को लेकर ज्यादा आक्रामक मूड में नहीं है।

भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कहा था कि अभी देश में एनआरसी लागू करने की कोई चर्चा नहीं हुई है। अब विधानसभा ने सर्वसम्मति से राज्य सरकार का यह प्रस्ताव भी पारित कर दिया कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा और एनपीआर पर 2010 के प्रारूप पर ही लोगों से जानकारी मांगी जाएगी।

मुख्यमंत्री नीतीश ने हालांकि सदन में विपक्ष को आईना दिखा दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सीएए के पक्ष में कांग्रेस वर्ष 2003 में थी और यह जनवरी 2004 में ही अधिसूचित हुआ है। इसके संशोधन के लिए बनी स्टैंडिंग कमिटी में लालू प्रसाद भी थे।

बहरहाल, नीतीश ने एनआरसी, एनपीआर के बहाने एक तीर से साधे कई निशाने साधे हैं, जो बिहार की राजनीति को इस चुनावी वर्ष में जरूर प्रभावित करेंगे।

Created On :   26 Feb 2020 8:01 PM IST

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