नोटबंदी का एक साल : देश ने क्या खोया-क्या पाया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 8 नवंबर 2017 को नोटबंदी का एक साल पूरा हो गया है। ठीक 1 साल पहले इसी दिन पीएम मोदी ने रात 8 बजे देश की जनता को संबोधित किया था। पीएम मोदी के इस संबोधन से पूरे देश में खलबली मच गई थी। अपने इस संबोधन में मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। अब जब सरकार के इस फैसले को 1 साल पूरा हो गया है तो सत्तापक्ष इसे सरकार की एक बड़ी कामयाबी के रूप में पेश कर कालेधन पर लगाम लगने का दावा कर रहा है और धूमधाम से इसकी सालगिरह मना रहा है, वहीं विपक्षी पार्टियां इसे गैरजरूरी कदम बताकर आज काला दिवस मना रही है।
सरकार नोटबंदी से जुड़े फायदों को गाजे-बाजे के साथ जनता के सामने रख रही है, लेकिन इस फैसले से धीमी हुई अर्थव्यवस्था पर वह चुप्पी साधे हुए है। सरकार नए-नए आंकड़ें पेश कर कालेधन पर लगाम लगने, नकली नोटों का चलन खत्म होने और टैक्स कलेक्शन बढ़ने की बात कह रही है। आतंकी गतिविधियों और नक्सली गतिविधियों में कमी की बात भी कही जा रही है। नोटबंदी के फैसले से धीमी हुई अर्थव्यवस्था को अगले कुछ महीनें में पटरी पर लौटने का भी दावा किया जा रहा है, लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है। अर्थशास्त्रियों की मानें तो नोटबंदी से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को उठा पाना इतना आसान नहीं होगा। नोटबंदी के दौरान व्यापारियों को हुए नुकसान, बंद हुए उद्योग-धंधे और लाखों की संख्या में बेरोजगार हुए युवाओं के लिए नौकरी पैदा करना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। हालात यह है कि अभी भी रियल स्टेट सेक्टर इस नोटबंदी से उभर नहीं पाया है। लाखों फ्लैट और मकानों को खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। बाकी सेक्टर भी अभी तक नोटबंदी से पहले वाली रफ्तार हासिल नहीं कर पाए हैं।
8 नवंबर 2016 की वो रात
8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने टीवी पर देश की जनता के नाम एक संबोधन दिया। उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम कसने के लिए हमने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का फैसला लिया है। ये नोट मध्यरात्री से लीगल टेंडर नहीं रहेंगे।" जनता से अपील की गई कि जिनके पास भी 500 और 1000 के नोट हैं वो उन्हें बैंकों में जमा करा दें।
पीएम मोदी के इस ऐलान की खबर 1 से 2 घंटे में पूरे देशभर में फैल गई। देश की जनता सरकार के इस फैसले से अचम्भित थी। हालत ये थी कि सब्जी मंडी से लेकर शापिंग मॉलों तक दुकानदार कस्टमर से 500 और 1000 रुपए के नोट नहीं ले रहे थे। आम से लेकर खास तक हर कोई परेशान था। शहरों में तो उस दिन रात 2 बजे तक सोने की दुकानों में लाइन लगी रही। उस रात उतना सोना बिका जितना आमतौर पर धनतेरस या पुष्य नक्षत्र के दौरान बिकता है।
52 दिन में सरकार ने कईं बार बदले नियम
नोटबंदी के दिन से लेकर 30 दिसंबर 2016 यानी 52 दिन तक देश का कोई भी कोना हो, लोगों की जुबां पर सिर्फ एक ही मुद्दा रहा, वो था नोटबंदी। कोई हंसकर बात कर रहा था तो कोई घबरा-घबरा कर। 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के साथ ही पूराने नोट बैंकों में जमा करने के लिए 30 दिसंबर तक का समय दिया गया था। साथ ही पुराने नोट बदलने, बैंक-एटीएम से पैसे निकालने के लिए सीमा तय की गई थी, लेकिन सरकार ने इस दौरान अपने नियमों में काफी बार बदलाव किया। सरकार ने बैंकों-एटीएम से पैसे निकालने की सीमा कई बार बदली।
उधर पेट्रोल पंप, मिल्क बूथ पर 72 घंटे तक पुराने नोट चलाने की मंजूरी दी। उसके बाद इसकी सीमा और 72 घंटे के लिए बढ़ा दी गई और इसमें कई नई यूटिलिटी भी जोड़ दी गईं थी। बाद में यह तारीख 24 नवंबर तक कर दी गई। बाद में घोषणा की गई कि 15 दिसंबर तक पुराने नोट पेट्रोल पंप और टोल प्लाजा पर दे सकते हैं। बैंकों ने नोट बदलने वालों की अंगुलियों पर स्याही का चिन्ह लगाना शुरू कर दिया।
मोदी सरकार क्यों लाई नोटबंदी
पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान बताया था कि भ्रष्टाचार और कालेधन के खात्मे के लिए उन्होंने नोटबंदी का फैसला लिया है। बाद में यह भी बताया गया कि सर्कुलेशन में मौजूद नकली नोटों को खत्म करना, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने समेत कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने जैसे कई और कारण भी इसकी वजह हैं।
जब 99 फीसदी नोट वापस आ गए तो काला धन कहां ?
रिजर्व बैंक ने 30 अगस्त 2017 को बताया कि नोटबंदी के बाद 1000 रुपये और 500 रुपये के करीब 99 प्रतिशत नोट वापस आ गए। कुल 15 लाख 44 हजार करोड़ के पुराने नोट बंद हुए थे। इनमें से 15 लाख 28 हजार करोड़ की रकम बैंकों में लौटी है। यानी कि मात्र 16 हजार करोड़ रुपए ही बैंकों के पास नहीं आए।
रिजर्व बैंक द्वारा बंद किए 99 फीसदी नोट वापस आने की सूचना के बाद विपक्षी पार्टियां और अर्थशास्त्रियों ने मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए। इनका कहना था कि जब लगभग सारा पैसा वापस बैंकों में लौट गया है, तो काला धन कहां गया? सरकार कालेधन को पकड़ने में कामयाब नहीं रही है। सारा काला धन भी बैंक में आ गया है। हालांकि सरकार का कहना है कि जो कैश जमा हुआ है, उनमें जब सारे संदिग्ध ट्रांजेक्शन और खातो की जांच होगी तब नोटबंदी के असली फायदें लोगों के सामने आएंगे।
सरकार गिना रही है ये फायदे
- 2.24 लाख शैल कंपनियां बंद हुईं। 35000 कंपनियों के 58000 बैंक खातों में नोटबंदी के बाद 17 हजार करोड़ डिपोजिट हुए और निकाले गए। 11500 शैल कंपनियों पर IT विभाग एक्शन लेने की तैयारी में है। इन कंपनियों द्वारा 13300 करोड़ से ज्यादा का संदिग्ध लेनदेन हुआ। बंद हुई 28,088 शैल कंपनियों के 49,910 अकाउंट से करीब 10,200 करोड़ निकाले गए। इन सब मामलों की जांच होनी है।
- 17.73 लाख संदिग्ध खातों की पहचान हुई, जिनकी टैक्स प्रोफाइल नोटबंदी के दौरान जमा कैश से मैच नहीं हुई। IT विभाग इन पर नजर रखे हुए हैं। 4.7 लाख से ज्यादा संदिग्ध ट्रांजेक्शन भी रिकॉर्ड किए गए हैं।
- 29,213 करोड़ की अघोषित आय का खुलासा हुआ है। 1626 करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्त की गई।
- नोटबंदी के दौरान बड़ी मात्रा में ब्लैकमनी को व्हाइट करने ले जाया जा रहा कैश भी बरामद किया गया। कईं जगह तो कूड़े के ढेरों पर, सड़कों पर और नालों में लोगों ने 500 और 1000 के पूराने नोट बहा दिए।
- डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए 1 साल में 13 लाख से ज्यादा POS मशीनें खरीदी गईं। इससे पहले मात्र 15 लाख POS मशीनें उपयोग में थी। डिजिटल पेमेंट में 58% का उछाल आया।
- लोन सस्ते हुए। रियल एस्टेट की कीमतें घटी, जिससे घर खरीदना आसान हुआ। महंगाई दर घटी।
- कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई। नक्सली गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं।
- टैक्स जमा करने वालों की संख्या बढ़ी। 56 लाख नए इंडिविजुअल टैक्स पेयर्स ने इस बार टैक्स रिटर्न फाइल किए।
- वर्ल्ड बैंक ने आर्थिक सुधारों के चलते ईज ऑफ डूइंग बिजनैस रिपोर्ट में भारत को 100वां स्थान दिया। पहले यह 130 था।
- वर्ल्ड बैंक CEO ने भारत के 2047 तक टॉप-3 अर्थव्यवस्था में शामिल होने की बात कही।
अर्थव्यवस्था, रोजगार, उद्योग धंधों पर पड़ा यह असर
- नोटबंदी के बाद लोगों के पास कैश बिल्कुल खत्म था। डिजिटल पेमेंट का भी इतना चलन नहीं था। इसके चलते हालात सामान्य होने तक छोटी-बड़ी सभी दुकानें और उद्योग धंधे बंद पड़े रहे। हालात सामान्य होने के बाद भी बाजार में उदासी छाई रही। कईं व्यापारियों को घर बैठना पड़ा।
- बैंकों में पुराने नोट जमा करने और ATM से कैश निकालने के लिए लगी लाइनों में दर्जनों मौतें हुईं। कईं लोगों की दिल का दौरा पड़ने से भी मौतें हुईं।
- नोटबंदी से संकट में आई अर्थव्यवस्था के चलते छोटी-बड़ी सभी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी शुरू की। लाखों की संख्या में लोगों की नौकरियां गई। इस दौरान नई नौकरियां तो पैदा ही नहीं की जा सकीं।
- इस दौरान देश की जीडीपी में भी भारी गिरावट आई। कांग्रेस का मानना है कि नोटबंदी से देश की जीडीपी को 2 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
- सबसे ज्यादा नुकसान रियल एस्टेट सेक्टर में हुआ। सरकार की नोटबंदी के फैसले के बाद बिल्डरों को फ्लैट और मकानों के लिए खरीदार नहीं मिलें। कईं बिल्डरों के खाते नॉन प्राफिट अकाउंट में चले गए।
Created On :   7 Nov 2017 8:22 PM IST