उड़ीसा में जारी है गुमशुदा बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने का ऑपरेशन

डिजिटल डेस्क, भुवनेश्वर। बच्चों के गायब होने का दर्द केवल वे ही जान सकते हैं जिन्होंने वास्तव में अपना कोई नन्हा खोया हो। देश में हर साल 70 हजार से ज्यादा बच्चे गुम हो जाते हैं। इनमें से कुछ ही मिल पाते हैं बाकी का ताउम्र कहीं पता नहीं चलता। एक मां जिसने अपना बच्चा खोया है वो कैसे अपने रात-दिन काटती होगी, बस वहीं जानती होगी। हर पल शायद यही सोचती होगी कि उसका बच्चा किस हाल में होगा, वो उसे ढुंढ रहा होगा, खाना मिला होगा या नहीं। वह मां अपना पूरा जीवन इस उम्मीद में निकाल देती है कि कभी तो उसका बच्चा घर आएगा। उधर बच्चा जिंदगीभर कैसे गुजर बसर करता है वो उसकी किस्मत पर निर्भर है। अगर वह गलत हाथों में गया तो हम सोच भी नहीं सकते कि उसका पूरा जीवन किन-किन चुनौतियों और दुखों से भरा होगा। शायह वह एक अदद मुस्कान के लिए भी तरस जाए।
उड़ीसा में ऐसे ही गुमशुदा बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए ऑपरेशन 'मुस्कान-3' शुरू हुआ है। ऑपरेशन 'मुस्कान-3' उड़ीसा पुलिस ने तीन पहले लॉन्च किया है। इस ऑपरेशन में अब तक 489 बच्चों को बचाया गया है। जिस देश में हर दिन 200 से ज्यादा बच्चे गायब हों और उनमें से 10% बच्चे भी बाद में ना मिले। ऐसे देश में इस तरह की पहल अपने आप में काबिले तारीफ है। फिलहाल यह ऑपरेशन अपने पहले चरण में हैं जिसमें लापता बच्चों को उड़ीसा राज्य के अंदर ही ढुंढा जा रहा है। 31 जुलाई से इसका दूसरा चरण शुरू होगा, जिसमें राज्य से गायब हुए बच्चों को देश के अन्य हिस्सों में ढुंढा जाएगा।
गुमशुदा बच्चों को खोजने का यह मिशन स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट, आरपीएफ और जीआरपी ने मिलकर शुरू किया है। इस मिशन के तहत 8 स्पेशल टीमें बनाई गई हैं जो गुम हुए बच्चों को ट्रेस कर बचाने का काम करती हैं। उड़ीसा के डीजीपी क्राइम बी के शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक 427 लड़के और 62 लड़कियों को सुरक्षित ढुंढ निकाला गया है। उन्होंने कहा कि अगस्त तक यह ऑपरेशन जारी रहेगा। इस मिशन में खोजे गए बच्चों को दो शेल्टर होम (रूचिका सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन और विश्व जीवन संघ) में रखा जा रहा है।
Created On :   18 July 2017 7:53 PM IST