हैदराबाद निजाम के वंशजों की लगी लॉट्री, 120 हिस्सों में बटेंगे 308 करोड़ रुपए

Over 120 heirs to share Hyderabad Nizam fund worth Rs 306 crore
हैदराबाद निजाम के वंशजों की लगी लॉट्री, 120 हिस्सों में बटेंगे 308 करोड़ रुपए
हैदराबाद निजाम के वंशजों की लगी लॉट्री, 120 हिस्सों में बटेंगे 308 करोड़ रुपए

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। भारत के विभाजन के दौरान हैदराबाद के निजाम द्वारा लंदन के एक बैंक में जमा रकम को लेकर दशकों से चल रहे मामले में ब्रिटेन की एक हाई कोर्ट ने बीते दिन फैसला भारत के पक्ष में सुनाया। पहले पाकिस्तान इस पर अपना हक जमा रहा था। लेकिन, इस फैसले के तहत अब करीब 308 करोड़ की राशि भारत सरकार और हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर ओस्मान अली खान के 120 वंशजों में बांटी जाएगी। फिलहाल ये तय नहीं ​है कि किसके हिस्से में कितनी राशि आएगी। क्योंकि, भारत सरकार का भी इसमें कुछ हिस्सा है। ये पैसे सितंबर 1948 से नेटवेस्ट बैंक में रखे हैं।

जानकारी अनुसार निजाम के वंशजों को यह पैसा मिलेगा। हालांकि, किसे कितना पैसा मिलना है, यह समझौता होने के बाद ही तैयार हो पाएगा। अगर पाकिस्तान आगे इस पर अपील कर देता है तो यह मामला अभी और लंबा खिंच सकता है। आपको बता दें कि देश के विभाजन के दौरान हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान ने लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपए) जमा कराए थे। अब यह रकम बढ़कर करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपए) हो चुकी है।

कई परिवारों की लगी लॉट्री
सूत्रों के अनुसार, लंदन से आने वाले इस पैसे को निजाम के वंशजों मुकर्रम जाह, मुफ्फखम जाह, निजाम के नातियों और रियासत का हिस्सा रहे कुल 120 लोगों के बीच बांटा जाएगा। निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जहां और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जहां इस मुकदमे में भारत सरकार के साथ थे। निजाम के एक और नाती नजफ अली शाह ने भी इस मुकदमे में पक्षकार रहे हैं। वहीं निजाम के कई वंशज ऐसे हैं जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। ऐसे में यदि ये राशि उन्हें मिलती है तो उनके लिए यह किसी लॉट्री से कम नहीं होगी। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, निजाम परिवार के कुछ ही सदस्य आर्थिक दृष्टि से बेहतर जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनके अलावा बाकी वंशज परिवार चलाने के लिए भी जूझ रहे हैं।

बंटवारे को लेकर भारत सरकार के साथ बनानी होगी सहमति
इस मामले में फैसला सुनाने वाले जस्टिस मार्कस स्मिथ ने कहा कि निजाम-7 इस पैसे के असली मालिक थे और इसका दावा करने वाले उनके वंशज और भारत अब इसके हकदार हैं। मैं यह उन पर छोड़ता हूं कि वे मसौदा तैयार करें, जिसको मैं अप्रूव करूंगा।" इसका मतलब है कि पैसे के हिस्सेदारों को भारत सरकार के साथ बंटवारे को लेकर एक सहमति बनानी होगी, जिसे कोर्ट से अप्रूवल मिलने के बाद ही पैसा मिल पाएगा।

Created On :   3 Oct 2019 2:48 PM GMT

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