राजनीति ही नहीं क्रिकेट में भी चलाया बल्ला, जानिये अहमद पटेल का सियासी सफर

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राजनीति ही नहीं क्रिकेट में भी चलाया बल्ला, जानिये अहमद पटेल का सियासी सफर
राजनीति ही नहीं क्रिकेट में भी चलाया बल्ला, जानिये अहमद पटेल का सियासी सफर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार को गुजरात में दिनभर चले हाइवोल्टेज ड्रामे के बाद कांग्रेस अहमद पटेल की सीट बचाने में कामयाब हो पाई। देर रात ही सही लेकिन कांग्रेस के लिए कई दिनों बाद अच्छी खबर आई। गुजरात में 3 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में 2 सीटों पर बीजेपी भले जीत गई हो, लेकिन असली रण में तो वह हार ही गई है। क्योंकि बीजेपी ने तीसरी सीट पर भी अपने उम्मीदवार को उतारकर इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था। ऐसे में बीजेपी के साथ-साथ ये एक सीट कांग्रेस के लिए भी बड़ी लड़ाई हो गई थी।

देर रात को जब चुनाव आयोग ने अहमद पटेल की जीत का एलान किया, तो ऐसा लगा कि मानो कांग्रेस गुजरात का विधानसभा चुनाव जीत गई हो। अहमद पटेल को कांग्रेस का चाणक्य कहा जाता है।  इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि जब कांग्रेस गुजरात की सत्ता में थी, तो पर्दे के पीछे से सरकार अहमद पटेल ही चलाते थे। पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं और कांग्रेस की हर रणनीति में उनका हाथ रहता है।

यह बात हमेशा ही कही जाती रही है कि जब UPA की सरकार थी, तो पटेल अमित शाह को परेशान करते थे और जब आज NDA की सरकार है,तो अमित शाह पटेल को परेशान कर रहे हैं। अहमद पटेल को राजनीति का "चाणक्य" कहा जाता है। लेकिन राजनीति का चाणक्य कहे जाने वाले पटेल एक जमाने में क्रिकेटर हुआ करते थे। वो साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी के बेट्समैन हुआ करते थे। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ अहम किस्से....

1. 1977 में कांग्रेस की हार, लेकिन पटेल जीते

अहमद पटेल गुजरात के भारुच से आते हैं। 1977 में जब सब तरफ एमरजेंसी के कारण कांग्रेस और इंदिरा गांधी का विरोध हो रहा था और कांग्रेस इस चुनाव में आजादी के बाद पहली बार हारी थी। उस समय अहमद पटेल ऐसे व्यक्ति थे जो कांग्रेस से लड़े और जीते। पटेल ने जब ये लोकसभा चुनाव जीता तो उस वक्त उनकी उम्र मात्र 26 साल थी और उस जमाने में पटेल सबसे युवा सांसद बनकर दिल्ली आए थे। पटेल जब 60 हजार वोटों से जीते तो उनकी जीत ने इंदिरा गांधी को भी हैरान कर दिया था क्योंकि उस समय पूरे देश में कांग्रेस को लेकर जबरदस्त विरोध की लहर थी। पटेल की इस जीत के बाद उन्हें गुजरात की यूथ कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया था। 

2. गांधी परिवार से नजदीकी  

अहमद पटेल जब पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतकर आए, तो इंदिरा गांधी उनसे बहुत प्रभावित हुई। जिस कारण पटेल गांघी परिवार के करीबी बनते गए। 1985 में पटेल राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे। उसके बाद उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी का जनरसल सेक्रेटरी बनाया गया। 1991 में जब नरसिम्हा राव की सरकार बनी तो उस समय पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमिटी का मेंबर बनाया गया। उसके बाद अहमद पटेल जब 1993 में पहली बार राज्यसभा में पहुंचे तो उनकी सोनिय गांधी से करीबी बढ़ गई। 2005 में पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बने और तब से ही वो कांग्रेस के चाणक्य बन गए। बाहर से आई सोनिया गांधी को भी भारतीय राजनीति में स्थापित करने में पटेल का अहम योगदान है। इसके बाद 2005 और 2009 में UPA की सरकार बनवाने में पटेल ने जबरदस्त भूमिका निभाई।

3. पर्दे के पीछे से करते हैं राजनीति 

अहमद पटेल भले ही मीडिया में कम आते हों और लोग उन्हें भले ही कम जानते हों। लेकिन अहमद पटेल एक ऐसे इंसान हैं जो हमेशा से पर्दे के पीछे से राजनीति करने में माहिर हैं। उनके बारे में कहा जाता हे कि सोनिया गांधी जो भी फैसला लेती हैं, उससे पहले वो पटेल से ही सलाह लेती हैं। कांग्रेस नेता भी पटेल के बारे में यही कहते हैं कि वो एक ऐसे इंसान हैं जिन्हें अपने विरोधियों से भी शिकायत नहीं रहती। वो न सिर्फ कांग्रेस के किंगमेकर हैं बल्कि पार्टी के पॉवरफुल लीडर भी हैं। इसलिए तो बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भी उन्हें हराने की कोशिश में थे लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए। 

 

Created On :   9 Aug 2017 8:48 AM IST

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