CBI को RTI के दायरे में लाने के लिए SC में दायर हुई याचिका

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई को ट्रांसपेरेंसी लॉ राइट टू इन्फर्मेशन के दायरे में लाने की मांग की गई है। याचिका में यूपीए सरकार के 2011 में लिए गए फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें सीबीआई को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने का नोटिफिकेशन जारी किया गया था। याचिका में इस मामले की जल्द सुनवाई की बात भी कई गई है।
कब दाखिल किया गया था मामला
यह मामला पहले दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया गया था, लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया। यह तब किया गया जब केंद्र ने कहा कि इसे लेकर देश भर के कई हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
दरअसल, अशोक अग्रवाल ने 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने जुलाई 2011 में सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया था, क्योंकि वकील का था कि सीबीआई को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने के पीछे राजनीतिक मकसद था जिसमें बोफोर्स कमीशनखोरी मामले से जुड़े दस्तावेजों को लेकर जानकारी मांगी गई थी।
याचिका में कहा गया कि राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), खुफिया ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग सहित खुफिया एवं सुरक्षा संगठनों को आरटीआई से छूट दी गई है।
जब एजेंसी ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित इनसे जुड़े एक ही तरह के मामलों को उच्चतम न्यायालय में भेजने की याचिका दायर की तो दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही पर रोक लग गई।
क्वात्रोच्ची को बचाने के लिए किया गया
अपनी याचिका में अग्रवाल ने आरोप लगाया कि पिछली यूपीए सरकार के फैसले का मकसद "बोफोर्स घोटाले में मुख्य आरोपी ओत्तावियो क्वात्रोच्ची को बचाना था"। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ताजा अर्जी में अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने अधिसूचना इसलिए जारी की ताकि बोफोर्स मामले के बाबत मुख्य सूचना आयुक्त, नई दिल्ली के समक्ष लंबित आरटीआई अपील को बाधित किया जा सके। याचिका में कहा गया कि इस मामले में सीआईसी ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को जरूरी कागजात मुहैया कराए।
Created On :   8 Oct 2017 8:27 PM IST