कामगारों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

Petition filed in Supreme Court to give relief to workers
कामगारों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
कामगारों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि 21 दिनों के लॉकडाउन से प्रवासी कामगारों पर अभूतपूर्व मानवीय संकट आ गया है। उन्होंने सभी प्रवासी कामगारों को एक सप्ताह के अंदर न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी करने की गुहार लगाई है।

मंदर व भारद्वाज ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिका दायर की और शीर्ष अदालत से आपदा प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञों की राष्ट्रीय और राज्य सलाहकार समितियों को तुरंत सक्रिय करने को कहा। इसके अलावा उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन योजनाओं को तैयार करने की मांग की।

याचिका में कहा गया है, वर्तमान लॉकडाउन से दैनिक वेतन भोगियों को एक अभूतपूर्व आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र और राज्य के अधिकारियों की पास यह शक्ति है और उनका कर्तव्य है कि सभी दैनिक वेतन भोगियों को उसी जगह पर वेतन मुहैया कराया जाए, जहां वे लॉकडाउन के कारण फिलहाल मौजूद हैं।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस विपदा से निपटने के लिए एक विस्तृत योजना और मशीनरी को काम पर लगाने की जरूरत है। उन्होंने लॉकडाउन की वजह से नुकसान झेल रहे लोगों की मदद के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की अपील की।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अनियोजित और अचानक लॉकडाउन से प्रवासी श्रमिकों की नौकरियां जाने के साथ ही उनका आर्थिक नुकसान भी हुआ है। उन्होंने कहा कि कामगारों के पास भोजन और आश्रय की पहुंच भी कम हो गई है, जिससे वह काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान उसी स्थान पर किया जाए, जहां वे वर्तमान में लॉकडाउन के दौरान मौजूद हैं। फिर चाहे वे अपने गृह राज्य में हों या आश्रय घरों में या उस राज्य में जहां वे लॉकडाउन से पहले चले गए थे।

याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन का आदेश उन कठोर वास्तविकताओं की अनदेखी करता है, जिनका श्रमिकों को शहरों में लगातार सामना करना पड़ रहा है। हर्ष मंदर व अंजलि भारद्वाज ने कहा कि अचानक लिया गया यह निर्णय मजदूरों को उनकी नौकरी, दैनिक मजदूरी और जीवित रहने के लिए जरूरी साधनों से भी वंचित करता है और इस प्रकार उनके अनुच्छेद-21 के अधिकारों का उल्लंघन भी हो रहा है।

Created On :   1 April 2020 10:00 PM IST

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