जानिए उस शख्स के बारे में, जिसने बनाया हमारा राष्ट्रध्वज 'तिरंगा'

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मंगलवार को पूरे देश में 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। आज के दिन हर जगह हमारा राष्ट्रध्वज शान के साथ लहराएगा और इस शान से लहराते हुए तिरंगे को देखकर हमें आज बहुत गर्व होता है। हम सब तिरंगे को बचपन से ही देखते आ रहे हैं और जब कभी भी हमारे सामने तिरंगा लहराता है तो उस वक्त हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हमारे अंदर एक नई ताकत आ जाती है, देशभक्ति की भावना आ जाती है। कहने को तो किसी भी देश का झंडा केवल एक सिंबल या उसकी पहचान होता है, लेकिन असल में झंडा इस सबसे भी ऊपर होता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में इतनी शक्ति है, कि किसी घायल सैनिक को भी अगर तिरंगा दिख जाए न तो वो अकेला ही दुश्मन से लड़ने चले जाता है, फिर चाहे उसे अपनी जान ही क्यों न गंवानी पड़ जाए। लेकिन इन सबके बावजूद भी हम लोगों ने कभी भी उस शख्स के बारे में जानने की कोशिश नहीं जिसने हमारे तिरंगे को बनाया। जिसका डिजाइन किया "तिरंगा" आज पूरे देश में शान से लहराता है। तो आज स्वतंत्रता दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर हम आपको उस शख्स से मिलवाते हैं, जिसने हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को डिजाइन किया। उस शख्स का नाम है, पिंगली वेंकैया। जिसने पूरे देश को गर्व महसूस कराने वाला तिरंगा बनाया लेकिन उसे कभी भी उतना सम्मान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। तिंरगे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया की आजादी के बाद एक झोपड़ी में ही मौत हो गई, मगर अफसोस कि उनके बारे में आज शायद ही किसी को पता हो।
गांधी जी से मिलकर बने स्वतंत्रता सेनानी
2 अगस्त 1876 को आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टनम के पास एक छोटे से गांव में जन्मे पिंगली वेंकैया 19 साल की उम्र में ही ब्रिटिश आर्मी में सेनानायक बन गए। इसी समय अफ्रिका में एंग्लो-बोअर के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था। यहां पर वेंकैया की मुलाकात गांधी जी से हुई। गांधी जी से मिलने के बाद वेंकैया ने ब्रिटिश आर्मी में नौकरी छोड़कर भारत लौट आए और यहां आकर उन्होंने अपना जीवन आजादी की लड़ाई के लिए समर्पित कर दिया।
45 साल की उम्र में बनाया "तिरंगा"
1916-1921 तक लगातार 5 सालों तक वेंकैया ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज पर स्टडी करने के बाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज बनाया। पिंगली वेंकैया ने जिस ध्वज को बनाया था, उसमें लाल, हरा और सफेद रंग था। जिसमें लाल रंग हिंदुओं, हरा रंग मुस्लिमों और सफेद रंग बाकी धर्मों के लिए था। उनके डिजाइन किए तिरंगे में बीच में चरखा बना हुआ था। चरखे को प्रगति के प्रतीक के रुप में इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद 1931 में तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव पास किया गया, साथ ही इसमें लाल रंग की जगह केसरिया रंग का इस्तेमाल हुआ। इसके बाद 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रुप में अपनाया। साथ ही इसमें कुछ संशोधन भी किए गए, जिसके बाद चरखे की जगह "अशोक चक्र" का इस्तेमाल किया गया।
मौत के 46 सालों बाद मिला वेंकैया को सम्मान
भारत के लिए इतना बड़ा योगदान देने के बाद भी पिंगली वेंकैया को कभी उतना सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। हमेशा से गुमनामी की जिंदगी जीने के बाद वेंकैया की गरीबी हालात में 1963 को विजयवाड़ा की एक झोपड़ी में निधन हो गया। पिंगली वेंकैया को उनके योगदान के लिए जीते जी नहीं लेकिन उनकी मौत के 46 साल बाद सम्मान दिया गया। साल 2009 में पिंगली वेंकैया के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया गया। इसमें उनकी फोटो छपी हुई थी। इसके बाद 2016 में वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन पर पिंगली वेंकैया की प्रतिमा स्थापित की थी।


Created On :   15 Aug 2017 10:24 AM IST