सीएम से पीएम तो बन गए मोदी, पर सामने हैं ये चुनौतियां

PM acts like previous Gujarat CM, bets for performance, but challenges remains
सीएम से पीएम तो बन गए मोदी, पर सामने हैं ये चुनौतियां
सीएम से पीएम तो बन गए मोदी, पर सामने हैं ये चुनौतियां

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट विस्तार में दो पूर्व आईएएस- आर के सिंह और अल्फोंज कन्नाथनम जबकि एक पूर्व आईपीएस, सत्यपाल सिंह और एक पूर्व आईएफएस हरदीप सिंह पुरी को चुनकर यह साफ संकेत दिया है कि वे अब अपने मंत्रियों से अगले दो साल सिर्फ सर्विस डिलिवरी का काम लेना चाहते हैं।

इससे पहले भी गुजरात के सीएम रहते हुए मोदी को ब्यूरोक्रेट्स पर ज्यादा ही भरोसा था। वे उन नौकरशाहों को पसंद करते थे, जो उनके साथ कदम मिलाकर चलें और रिजल्ट दें। यही उम्मीद उन्होंने अपने मंत्रियों से भी की है। मोदी ने जिन चार मौजूदा चेहरों को प्रमोशन दिया है, वे भी अपने मातहत नौकरशाहों से काम लेने में सफल रहे। पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान अपने मंत्रालय में मंत्री से अधिक सीईओ के रूप में काम रहे थे और मोदी ने उन्हें इनाम दिया।
 
न्यू इंडिया बनाने का टेंशन
मोदी सरकार के सामने अब अपने वादों को पूरा करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री बीते एक पखवाड़े में ब्यूरोक्रेट्स और सीईओ के साथ 15 से अधिक बार मीटिंग कर चुके हैं। मोदी के कामकाज को करीबी से जानने वाले बताते हैं कि गुजरात के सीएम रहते हुए मोदी ने वायब्रेंट गुजरात और राज्य में विकास, निवेश के अपने एजेंडा को इसी तरह से लागू किया। वे हमेशा कुछ नया सोचते हैं और नया करने में यकीन रखते हैं। एनडीए के एक नेता ने बताया कि मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे मिशन के बाद मोदी की नजर न्यू इंडिया के अपने मिशन को सफल करने पर है।

लेकिन चुनौतियां भी बहुत हैं...

  • एनडीए ने 2014 में सत्ता में आने से पहले देश में करोड़ों रोजगार पैदा करने का वादा किया था। इसी के तहत मेक इन इंडिया मिशन लाया गया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक देश में नौकरियां पैदा नहीं हो पाई हैं। नतीजतन बेरोजगारी बढ़ी है।
  • पिछले तीन साल मोदी सरकार के मंत्री एक टीम की तरह काम नहीं कर पाए। उनमें आपसी विभागों के बीच समन्वय नहीं था और वे एक-दूसरे के काम में दिलचस्पी ले रहे थे और न ही एक समान बयान दे रहे थे। बताया जाता है कि मोदी ने इस बार के फेरबदल में उन्हीं मंत्रियों को प्रमोट किया है, जो बोलने में कम और काम करने में ज्यादा यकीन रखते हैं।
  • देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से नीचे आ रही है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद देश तेजी से मंदी के दौर में जा रहा है। कोर सेक्टर का उत्पादन गिरा है और जीडीपी की ग्रोथ पिछले तीन साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है। इसके अलावा किसानों की आमदनी दोगुनी करने और बैंकों में नॉन प्रॉफिट एसेट्स या बैड लोन की भरपाई करने की बड़ी चुनौती सरकार के माथे है।
  • देश के करीब 75 फीसदी हिस्से में बीजेपी की राज्य सरकारें हैं। मोदी चाहते हैं कि ऐसे में केंद्र को अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं पर जमीनी स्तर पर अमल में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए केंद्र का सारा ध्यान सरकारी कामकाज की गति को तेज करने पर है, ताकि फाइलें एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन तक पहुंचने में महीनों का वक्त न लगे। बताया जाता है कि पीएम ने अपनी कैबिनेट के सभी मंत्रियों को यही हिदायत दी है कि अब फाइलों के अटकने जैसा कोई बहाना नहीं चलेगा। 

 

Created On :   3 Sept 2017 5:04 PM IST

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