दंगे रोकना कोर्ट का काम नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Preventing riots is not the work of the court: Supreme Court
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नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस) सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अदालतें दंगों को नियंत्रित करने को लेकर दबाव नहीं झेल सकती है। हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे दंगा पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोर्ट इस तरह के दबाव नहीं झेल सकती। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को इस मामले की अग्रिम सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और सूर्यकांत की पीठ ने कहा, अदालतें दंगों को नियंत्रित करने के लिए नहीं हैं क्योंकि यह कार्यपालिका का काम है, इस तरह के दबाव को संभालने में अदालतें सक्षम नहीं हैं।

वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जो दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह शांति की कामना करते है और उसकी कुछ सीमाएं भी हैं।

अदालत ने कहा, हम सुनेंगे लेकिन आपको समझना होगा। अदालतें घटना घटने के बाद सामने आती हैं। हम शांति की कामना करते हैं, हमारी कुछ सीमाएं हैं। मीडिया रपटों में ऐसे बताया जा रहा है कि इसके लिए अदालतें जिम्मेदार हैं।

याचिका में नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी, जिसकी वजह से कथित रूप से दिल्ली में हिंसा भड़की।

गोंसाल्विस ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले को चार सप्ताह के लिए टाल दिया है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तथ्य के बावजूद याचिका खारिज कर दी गई कि हिंसा के कारण लोग अभी भी मर रहे हैं।

Created On :   2 March 2020 7:01 PM IST

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