राम मंदिर के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से होगी 20 करोड़ में डील : महंत

डिजिटल डेस्क, अयोध्या। हिंदू-मुस्लिम के धार्मिक आस्था से जुड़े बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद में 20 करोड़ रुपए में डील होने की बात सामने आते ही एक सनसनी सी मच गई है। यह सनसनी निर्मोही अखाड़ा के प्रमुख और कई दशकों पुराने इस विवाद के तीन में से एक पक्षकार महंत दिनेंद्र दास ने एक बयान देते हुए मचाई है। महंत ने कहा है कि बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि वाली विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड से 20 करोड़ रुपए में होने वाली है। इस मामले में श्री श्री रविशंकर के मध्यस्थता करने के बाद से अब तक कई सारे विवाद सामने आए हैं, यह मामला तो और भी गंभीर है।
महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि इस डील के बारे में श्री श्री रविशंकर ही सुन्नी वक्फ बोर्ड से मध्यस्थता करेंगे। हालांकि कुछ ही देर में निर्मोही अखाड़ा इस दावे से पलट गया। महंत दिनेंद्र दास ने पैसे के ऑफर का खंडन करते हुए कहा कि ये आरोप गलत है। इससे पहले भी श्रीश्री ने मामले को लेकर बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। इसके बाद योगी ने गुरुवार को एक बयान दिया कि अब किसी भी तरह की बातचीत के लिए बहुत देर हो चुकी है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य एजाज अरशद कासमी ने भी 6 अक्टूबर को बेंगलुरू में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी। अब कासमी का कहना है कि अभी तक श्री श्री ने समझौते का कोई भी मॉडल पेश नहीं किया है। मॉडल पेश होगा, तभी को बातचीत होगी। कासमी ने कहा कि श्री श्री चाहते हैं कि मुस्लिम विवादित जमीन गिफ्ट दे दें और दूसरी जगह जमीन लेकर मस्जिद बना लें। श्री श्री पर यह आरोप उनकी अयोध्या यात्रा के दिन लगाए गए हैं।
बुधवार को विहीप ने कहा कि श्री श्री रविशंकर देश के सम्मानित संत हैं और हम उनका सम्मान करते हैं। उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि समझौते के तमाम प्रयास पहले भी हुए, अनेक प्रधानमंत्री, सरकारें और शंकराचार्य इसके लिए प्रयास करते रहे, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। परिषद ने कहा कि पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के बाद राम जन्म भूमि को लेकर सुलह-समझौते की रट का अब कोई औचित्य नहीं है, न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष में है। फिर बातचीत कैसी और क्यों।
Created On :   16 Nov 2017 9:15 PM IST