हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- शिक्षा और रोजगार में गरीब सवर्ण को भी मिले आरक्षण

Reservation for general caste and poors say madras high court
हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- शिक्षा और रोजगार में गरीब सवर्ण को भी मिले आरक्षण
हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- शिक्षा और रोजगार में गरीब सवर्ण को भी मिले आरक्षण

डिजिटल डेस्क, चेन्नई। सवर्ण छात्रों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से आरक्षण की संभावना तलाशने को कहा है। कोर्ट ने 14 छात्रों की एक याचिका पर यह निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण (अगड़ी) जाति के लोगों को भी शिक्षा और रोजगार में आरक्षण दिए जाने की जरूरत है।

कोर्ट ने कहा कि समाज में रहने वाले प्रत्येक वर्ग को सामाजिक न्याय मिलना ही चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस किरुबाकरन ने कहा कि कोर्ट इस बात से अवेयर है कि सभी समुदायों में गरीब लोग हैं और शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक नजरिए से उन्हें विकसित करने के लिए उनका प्रोत्साहन जरूरी है। जज ने कहा कि गरीब, गरीब होता है, फिर चाहे वह सवर्ण जाति से हो या पिछड़ी जाति से।

जज ने कहा कि फॉरवर्ड कम्यूनिटीज में गरीबों को अब तक नजरअंदाज किया गया है। कोई उनके हक में इस डर के चलते आवाज नहीं उठाता कि ऐसा करने पर सामाजिक न्याय के नाम पर उनको विरोध होने लगेगा। फॉरवर्ड कम्यूनिटीज के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की बात करने को इस नजर से नहीं देखा जाना चाहिए कि यह आरक्षण का लाभ उठा रहे समुदायों की खिलाफत है। जज ने कहा सामाजिक न्याय समाज के हर वर्ग को मिलना चाहिए और ये उसका अधिकार भी है।

छात्रों ने दायर की थी याचिका

छात्रों ने याचिका में यह निर्देश देने की मांग की थी कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ओसी यानी ओपन कैटेगरी के लिए रखी गईं एमबीबीएस सीटें बीसी और एमबीसी कैटेगरी को ट्रांसफर करना अवैध, मनमानी और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करना है। छात्रों ने इन सीटों पर कोर्ट से डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन को रिजर्वेशन पॉलिसी के हिसाब से ओपन कैटेगरी के लिए अलॉट सीटों पर दोबारा काउंसलिंग कराने का निर्देश देने की मांग भी की थी।

सवर्ण छात्रों को मिलने वाली संख्या 7.31% घटी

सरकार के जवाबी शपथपत्र पर गौर करते हुए जज ने कहा कि 22 सरकारी कॉलेज में 2,651 एमबीबीएस सीटें थीं। इनमें ओपन कैटेगरी की कुल 822 सीटों में सामान्य वर्ग के अतिरिक्त आरक्षित वर्ग के विद्यार्थी भी मेरिट लिस्ट के हिसाब से दावेदार होते हैं। ऐसे में सवर्ण छात्रों को मिलने वाली संख्या 7.31 पर्सेंट घटकर 194 सीटों तक ही रह जाती है।" इससे यह साफ है कि अधिकांश जातियों को बीसी या एमबीसी में वर्गीकृत कर दिया गया है। अगर ऐसा है तो सामाजिक और आर्थिक स्तर के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए दिए जाने वाले आरक्षण का कोई मकसद नहीं रह जाता।

Created On :   16 Dec 2017 7:00 PM IST

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