भारत में मूलनिवासी दिवस को ईसाई मिशनरियों की साजिश मानता है आरएसएस

RSS considers indigenous day as a conspiracy of Christian missionaries in India
भारत में मूलनिवासी दिवस को ईसाई मिशनरियों की साजिश मानता है आरएसएस
भारत में मूलनिवासी दिवस को ईसाई मिशनरियों की साजिश मानता है आरएसएस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्व मूलनिवासी दिवस के आयोजनों से भारत के आदिवासियों को जोड़ने की कोशिशों के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक गहरी साजिश देखता है। संघ का मानना है कि आदिवासियों को हिंदू समाज से इतर करने की यह ईसाई मिशनरियों की एक सोची-समझी चाल है। भारत में रहने वाले सभी मूलनिवासी हैं, लेकिन आदिवासियों को ही मूलनिवासी बताकर उनको भड़काने की कोशिश हो रही है। यह भारत में रहने वाले लोगों को बांटने की साजिश है। हालांकि, आदिवासी समाज इस चाल से वाकिफ है। संघ से जुड़े स्वयंसेवकों ने रविवार को नौ अगस्त पर आयोजित विश्व मूलनिवासी दिवस के खिलाफ सब भारतवासी मूलनिवासी मुहिम चलाई।

दरअसल, दुनिया भर के देशों के मूल निवासियों के मानवाधिकारों के संरक्षण का हवाला देते हुए वर्ष 1982 में यूएनओ ने एक उपआयोग बनाया था, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। 9 अगस्त 1994 को जेनेवा में विश्व का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस आयोजित किया गया था। जिसके बाद से हर साल नौ अगस्त को विश्व मूल निवासी दिवस के आयोजन की शुरूआत हुई। यूएनओ के मुताबिक, मूलनिवासियों के संस्कृति, भाषा, उनके मूलभूत हक अधिकारों के संरक्षण के लिए यह पहल हुई।

इस पर आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा, भारत पहले ही दुनिया को बता चुका है कि हमारे यहां रहने वाले सभी मूल निवासी हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। भारत में जनजातीय समाज को सभी तरह के संवैधानिक अधिकार पहले से मिले हुए हैं। दुनिया को भारत से सीखने की जरूरत है। ऐसे में यहां मूलनिवासी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है। मूल निवासी दिवस मनाने वालों को पहले भारत के संविधान और जनजातीय समाज को मिले अधिकारों का अध्ययन करना चाहिए।

एक अन्य संघ पदाधिकारी ने इस दिवस के आयोजन के पीछे लेफ्ट और इसाई मिशनरियों का हाथ बताया। उन्होंने कहा कि मिशनरियां, बड़े पैमाने पर झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में आदिवासियों का धर्मांतरण कराने में लिप्त हैं। आदिवासियों को हिंदुओं से अलग धर्मकोड देने की भी मांगें ऐसी ताकतें उठातीं रहीं हैं। आदिवासियों की अलग पहचान गढ़ने की कोशिश हो रही है, जबकि आदिवासी हिंदू समाज के ही अंग हैं। यह हिंदुओं के खिलाफ एक साजिश के तहत मूल निवासी थ्योरी गढ़ने की कोशिश हो रही है।

Created On :   9 Aug 2020 9:30 PM IST

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