कौन हैं संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे, जिन पर है हिंसा के आरोप

कौन हैं संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे, जिन पर है हिंसा के आरोप

डिजिटल डेस्क, पुणे। पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा पहले महाराष्ट्र में फैली और अब धीरे-धीरे मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुकी है। 1 जनवरी को महार दलितों ने पेशवा सेना पर ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत की 200वीं सालगिरह मनाई, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। हिंसा के पीछे कांग्रेस समेत विपक्षी नेताओं ने बीजेपी और आरएसएस का हाथ बताया। दलित नेता प्रकाश अंबेड़कर ने भी इस हिंसा के पीछे संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे को जिम्मेदार ठहराया है। संभाजी और मिलिंद दोनों ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं और फिलहाल अपने अलग संगठन चलाते हैं। प्रकाश अंबेडकर की शिकायत पर इन दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। आइए जानते हैं कौन हैं संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे, जिनपर भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने का आरोप है।


कौन हैं संभाजी भिड़े?

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संभाजी भिड़े का असली नाम मनोहर है और ये महाराष्ट्र के सांगली जिले के रहने वाले हैं। संभाजी, बाबाराव भिड़े के भतीजे हैं, जो सांगली में आरएसएस के बड़े कार्यकर्ता रहे हैं। 1980 के दशक में संभाजी भी आरएसएस से जुड़े हुए थे और संगठन के लिए उन्होंने काफी काम भी किया। बताया जाता है कि 1980 के दशक में कुछ विवाद की वजह से आरएसएस ने उनका ट्रांसफर कर दिया, लेकिन उन्हें सांगली में ही रहना था। लिहाजा उन्हें आरएसएस छोड़ा और "श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान" नाम का संगठन बनाया। इस संगठन की शुरुआत 1984 में हुई। जिस तरह से आरएसएस विजयादशमी पर रैली निकालता है, उसी तरह से संभाजी भिड़े का संगठन दुर्गा माता दौड़ करवाता है। कहा जाता है कि जिस तरह के काम आरएसएस करता है, ठीक वैसा ही काम शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान संगठन भी करता है।

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बताया जाता है संभाजी भिड़े काफी सामान्य तरीके से रहते हैं। उनके खाने-पीने का इंतजाम कार्यकर्ता करते हैं। कहा ये भी जाता है कि 80 साल के संभाजी चप्पल भी नहीं पहनते और नंगे पैर ही घूमते हैं। संभाजी ने रायगढ़ किले में छत्रपति शिवाजी के लिए सोने का सिंहासन बनाने का प्रण लिया है, जिसके लिए कम से कम 144 किलो सोने का इस्तेमाल होगा। संभाजी भिड़े के संगठन ने 2009 में दूसरे संगठनों के साथ मिलकर "जोधा-अकबर" फिल्म का विरोध भी किया था, जिसके बाद सांगली, सतापुर और कोल्हापुर समेत कई जिलों में हिंसा भड़क गई थी। संभाजी भिड़े और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रायगढ़ किले पर ही हुई थी। तब मोदी ने संभाजी को "महापुरुष" बताया था।

कौन हैं मिलिंद एकबोटे? 

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मिलिंद एकबोटे 56 साल के हैं और इनका पूरा परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है। मिलिंद एकबोटे 1997 से 2002 तक बीजेपी के पार्षद भी रह चुके हैं। हालांकि 2002 में उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता। 2007 में मिलिंद ने एक बार फिर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हारने के बाद "हिंदू एकता मंच" नाम का संगठन शुरू किया। इसके बाद मिलिंद ने 2014 के लोकसभा चुनावों में शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिलहाल मिलिंद की भाभी पुणे महानगर पालिका में बीजेपी की पार्षद हैं। मिलिंद एकबोटे पर हिंसा भड़काने, दंगा कराने और धमकी देने समेत 12 केस दर्ज हैं। बताया जाता है कि इसमें से 5 मामलों में एकबोटे को दोषी भी करार दिया जा चुका है। भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद मिलिंद एकबोटे ने बयान जारी कर इस हिंसा की निंदा की है। उन्होंने ये भी दावा किया है कि उनके संगठन में बड़ी संख्या में दलित हैं। 

Created On :   5 Jan 2018 3:32 AM GMT

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