सावन सोमवार विशेष : पहली पायरी से शुरु होती है महादेव यात्रा
डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा। सतपुड़ा की वादियों के बीच स्थित देवनगरी विशाला पहली पायरी की अपनी अलग ही पहचान है। जुन्नारदेव में बना ऐतिहासिक और प्रसिद्ध शिव मंदिर को महादेव यात्रा की पहली पायरी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भस्मासुर से अपना बचाव करते हुए भगवान शंकर पहली पायरी से होते हुए महादेव पर्वत पहुंचे थे। यही कारण है कि पहली पायरी को महादेव यात्रा की पहली सीढ़ी माना जाता है। महादेव यात्रा पर जाने वाले श्रृद्धालु पहली पायरी में पूजा अर्चना कर ही महादेव यात्रा प्रारंभ करते हैं। नागद्वारी जाने वाले श्रृद्धालु भी पहली पायरी में कपूर जलाकर ही कठिन यात्रा प्रारंभ करते हैं। देवनगरी विशाला, पानी के पवित्र कुंड के लिए भी प्रसिद्ध है। पानी के पवित्र कुंड मेें स्नान करने के बाद ही श्रृद्धालु प्राचीन शिव मंदिर पहुंचकर शिवलिंग और प्रतिमा का अभिषेक पूजन करते हैं।
हर-हर महादेव के जयघोष और हाथ में त्रिशूल लेकर लाखों शिव भक्त महाशिवरात्रि तक देवाधिदेव के दर्शन करेंगे। इस यात्रा की शुरुआत छिंदवाड़ा जिले के तामिया और जुन्नारदेव के पैदल पहाड़ी रास्तों से होती हैं, इसलिए सिवनी और बालाघाट के साथ महाराष्ट्र के जिलों के भक्त यहीं से गुजरते हैं।
दीवार पर हैं प्रतिमाएं
विशाला में प्राचीन मंदिर के समीप दीवार पर भगवान श्री गणेश, ब्रम्हा, श्रीहरि विष्णु और महादेव शंकर की प्रतिमाएं अंकित हैं। हनुमान जी का मंदिर भी इसी दीवार से लगा हुआ है।
देवनगरी में हैं 17 मंदिर
देवनगरी विशाला में 17 मंदिर हैं। यहां महादेव शंकर का प्राचीन मंदिर है। इसके साथ ही राधाकृष्ण मंदिर, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, राम दरबार के मंदिर स्थित है। 2006 में अर्धनारीश्वर महादेव शंकर की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा करवाई गई थी। विशाला में मंदिरों की देखरेख और व्यवस्थाओं का संचालन SDM की अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है।
ऐसे पहुंचे विशाला
देवनगरी विशाला तक पहुंचने के लिए जुन्नारदेव रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूरी तय करनी होती है। सड़क मार्ग से श्रृद्धालु बस स्टैंड से 3 किमी दूरी तय कर देवनगरी पहुंच सकते हैं।
Created On :   23 July 2017 6:00 PM GMT