दागी नेताओं पर सुनवाई के लिए 12 स्पेशल कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलो को जल्द निपटाने के लिए केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। बता दें कि केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार दोगी नेताओं के लिए देशभर में 12 स्पेशल कोर्ट बनाने जा रही है। इन स्पेशल कोर्ट के गठन के बाद दागी नेताओं पर आपराधिक मुकदमे आम कोर्ट में नहीं बल्कि इन्हीं स्पेशल कोर्ट में चलेंगे। केंद्रीय कानून मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दिया गया था।
दागी नेताओं के लिए देशभर में स्पेशल कोर्ट का गठन करने की केन्द्र सरकार की योजना पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंठी दिखाते हुए इसे जल्द से जल्द अमन में लाने का आदेश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट इन विशेष अदालतों के लिए जजों की नियुक्ति करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों व विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों का ब्यौरा इकट्ठा करने के लिए केंद्र को दो महीने का वक्त दिया है।
इससे पहले 12 दिसंबर को केन्द्रीय कानून मंत्रालय ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दागी नेताओं पर आपराधिक मामलों में जल्द फैसला लेने के देशभर में 12 स्पेशल कोर्ट बनाई जाएगी। सालभर के अंदर इनका गठन कर लिया जाएगा। इनके गठन पर सरकार 7.8 करोड़ रुपये खर्च करेगी। हलफनामे में यह भी बताया गया था कि वित्त मंत्रालय ने 8 दिसंबर को इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है।
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों को एक वर्ष के भीतर निपटाने को देश हित में बताते हुए केंद्र सरकार को विशेष अदालतों का गठन करने के लिए कहा था। दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की चुनाव आयोग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पेशल कोर्ट बनाने की संभावनाओं पर केंद्रीय कानून मंत्रालय से छह हफ्तों में हलफनामा देने को कहा था।
गौरतलब है कि देशभर में सैकड़ों राजनेता हैं जिन पर मुकदमे लंबित हैं। ऐसे करीब 1581 सांसद और विधायकों पर करीब 13500 आपराधिक मामले लंबित बताए गए हैं। न्याय में होने वाली देरी की वजह से ऐसे नेता कई बार चुनकर संसद या विधान सभाओं में पहुंच जाते हैं, जबकि नियमानुसार ऐसे सांसद या विधायक की सदस्यता जनप्रतिनिधि कानून के तहत स्वत: ही समाप्त हो जानी चाहिए। कानूनी उलझनों का फायदा उठाकर ये नेता अपनी सदस्यता बचाए रहते हैं।
Created On :   14 Dec 2017 5:12 PM IST