जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स ने कहा, शारीरिक दूरी ने जीवन मुश्किल कर दिया

Sex workers at GB Road said physical distance made life difficult
जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स ने कहा, शारीरिक दूरी ने जीवन मुश्किल कर दिया
जीबी रोड की सेक्स वर्कर्स ने कहा, शारीरिक दूरी ने जीवन मुश्किल कर दिया

नई दिल्ली, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैले गास्र्टिन बैस्टियन (जीबी) रोड की गिनती भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में होती है, जो कि इन दिनों वीरान नजर आ रहा है।

यहां आमतौर पर दुकानों के ऊपर स्थित जर्जर भवनों या कोठों में करीब 4000 वेश्याएं (सेक्स वर्कर) काम करती हैं, मगर राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान इनमें से फिलहाल 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं ही बची हुई हैं। बंद के पांचवें सप्ताह के दौरान इन सेक्स वर्करों का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है।

मार्च का महीना शुरू होते ही देश में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ना शुरू हुआ, तभी से इन कोठों में रात के दौरान आने वाले ग्राहकों की संख्या में भी कमी होती चली गई। इसके बाद 23 मार्च से जनता कर्फ्यू व इसके बाद सामाजिक दूरी बनाए रखने के निर्देश आए और तभी से यहां लोगों का आना पूरी तरह से बंद हो गया।

जीबी रोड स्थित एक कोठे की मालकिन के लिए काम करने वाले एक 29 वर्षीय दलाल राजकुमार ने कहा, ज्यादातर यौनकर्मी आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम जैसे दूर के राज्यों से हैं।

जीबी रोड पर दो और तीन मंजिला इमारतें हैं, जहां भूतल पर दुकानें हैं और पहली व दूसरी मंजिल पर वेश्यालय चलते हैं। कोठा नंबर-54 में लगभग 15-16 यौनकर्मी हैं, जिनमें ज्यादातर नेपाल और पश्चिम बंगाल की हैं। उन्होंने वापस जाने के विकल्प को चुना है।

एक 54 वर्षीय सेक्स वर्कर संगीता (बदला हुआ नाम) ने कहा, हम पिछले 25 सालों से यहां रह रहे हैं और हमारे पास यहां से जाने के लिए दूसरी कोई जगह नहीं है।

उन्होंने कहा, इस जगह पर अब कोई भी नहीं आ रहा है। हमारे पास पैसे नहीं हैं। मेरे पास शैम्पू का एक पाउच खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं।

यह पूछे जाने पर कि आखिर वे जिंदा कैसे हैं? उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी राशन देने के लिए हर दिन आते हैं।

उन्होंने कहा, हमें सुबह दो किलो गेहूं का आटा, दो किलो चावल और आधा लीटर खाद्य तेल मिला है। इसी तरह कुछ एनजीओ कार्यकर्ता भी हमसे मिलते हैं। उन्होंने साबुन, मास्क प्रदान किया है। कभी-कभी वे सब्जियां और अन्य सामान भी प्रदान करते हैं।

संगीता ने जो खुलासा किया है, उससे गीता (बदला हुआ नाम) की कहानी अलग नहीं है। गीता के मामले में समस्या उनके बच्चों से जुड़ी हुई है, जिन्होंने एक एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे नजदीकी स्कूल में जाना बंद कर दिया है।

गीता ने कहा, मुझे उनकी स्कूली शिक्षा की चिंता है। इसके अलावा मेरे पास दूध खरीदने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं।

ये लड़कियां मुजरा (एक पारंपरिक कोठा नृत्य) करती हैं और देह व्यापार में भी शामिल होती हैं। कोठा नंबर-54 पर अभी भी दो से तीन लड़कियां रह रही हैं।

गीता ने कहा, वे यहां इसलिए रह रहे हैं, क्योंकि वे लॉकडाउन से पहले निकलने का फैसला नहीं कर सकते थे। इसलिए वे फंस गए हैं।

दिल्ली की कुलीन कॉल गर्ल्स में से ज्यादातर जहां सामाजिक दूरी जैसी इन परिस्थितियों में निजी चैट लाइनों के जरिए फोन सेवाओं पर उपलब्ध हैं, वहीं जीबी रोड की सेक्स वर्कर आमतौर पर मानव तस्करी का शिकार होती हैं और दूरदराज के इलाकों से आती हैं।

एक स्थानीय सब-इंस्पेक्टर ने कहा, लॉकडाउन के दौरान भी इनमें से कुछ ग्राहकों की तलाश में रहती हैं, लेकिन पूरा इलाका बंद हो गया है। हम यहां पर किसी भी तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं दे रहे हैं।

राजुकमार ने बताया कि वेश्यालयों के पूरी तरह से बंद होने का एकमात्र कारण सिर्फ राष्ट्रव्यापी बंद ही नहीं है, बल्कि ग्राहक भी संक्रम के कारण डर गए हैं।

Created On :   25 April 2020 1:30 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story