कई राज्यों में विधायक लाभ के पद पर, लेकिन कार्रवाई सिर्फ AAP पर : शिवसेना
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के मामले में शिवसेना ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। शिवसेना ने कहा है कि इस मामले में चुनाव आयोग ने धैर्य नहीं दिखाया और फटाफट फैसला ले लिया जबकि देश के कई राज्यों में विधायक लाभ के पद पर रहे हैं और आज भी हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अपने मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने कहा है, चुनाव आयोग ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया है। यह एक अभूतपूर्व घटना है, जिसमें जनता द्वारा चुने गए 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई। बड़ी बात है कि मामले का संज्ञान खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिया और चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति के इस संज्ञान पर तुंरत AAP विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। राष्ट्रपति कोविंद ने भी इसके बाद चुनाव आयोग की सिफारिशों मंजूर करने में देर नहीं लगाई।
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संपादकीय में लिखा गया है कि चुनाव आयोग के कई पूर्व अधिकारी भी यह मानते हैं कि इस मामले में जल्दबाजी हुई है। लेख में लिखा गया है, " EC ने आप के 20 निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बगैर यह फैसला दे दिया जो कि बेहद गलत है।
शिवसेना का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सामने आए संकट इस संकट का कारण उनका भ्रष्टाचार व अन्याय के खिलाफ चलाया गया सार्वजनिक अभियान है। संपादकीय में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के बीच चल रही जंग का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि अगर दिल्ली में केजरीवाल की जगह भाजपा का मुख्यमंत्री होता तो क्या उप राज्यपाल राज्य सरकार के कामों में रोक-टोक करते?
Created On :   22 Jan 2018 10:19 PM IST