ये है सोहराबुद्दीन जिससे बरामद हुई थीं 40 एके 47 रायफल
- 26 नवंबर 2005 को एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन को मार दिया गया था
- इस मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी किया गया
- सोहराबुद्दीन मामले में विशेष सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी बीवी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी एनकाउंटर केस में अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। 26 नवंबर 2005 को एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन को मार दिया गया था। सोहराबुद्दीन के साथ ही एक फार्महाउस में उसकी पत्नी कौसर बी को भी मार दिया गया था। सोहराबुद्दीन नामक यह शख्स मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के झिरन्या गांव से ताल्लुक रखता था। ये एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी था, जिसके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। कभी मप्र, राजस्थान और गुजरात में आतंक का पर्याय रहे सोहराबुद्दीन से मप्र में झिरन्या गाव के एक कुएं से 40 एके 47 रायफल बरामद की गई थीं।
साथी का भी एनकाउंटर
सोहराब के एनकाउंटर के बाद उसके साथी रहे तुलसीराम प्रजापति को भी एनकाउंटर में मार दिया गया। एनकाउंटर से पहले तुलसी प्रजापति को सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ का चश्मदीद गवाह बनाकर अदालत में पेश किया गया था। इस घटना के बाद गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह की भूमिका संदेह के घेरे में थी।
हथियार हुए थे बरामद
एनकाउंटर में मारे गए सोहराबुद्दीन शेख के झिरन्या गांव स्थित मकान से साल 1995 में लगभग 40 एके-47 राइफल बरामद की गई थी। इसके बाद सोहराबुद्दीन के खिलाफ अवैध हथियारों की तस्करी का मुककमा दर्ज हुआ था। सोहराबुद्दीन पर गुजरात और राजस्थान के मार्बल व्यापारियों से हफ्ता वसूली और हत्या के मुकदमे भी दर्ज हुए। सोहराबुद्दीन साल 2002 से ही तुलसी प्रजापति के साथ गैंग बनाकर वसूली का काम कर रहा था। गैंग बनाने के बाद उसने अपने प्रतिद्वंद्वी हामिद लाला की हत्या कर दी थी। सीबीआई ने बताया कि 2004 में सोहराबुद्दीन ने राजस्थान के आरके मार्बल्स के मालिक पटनी ब्रदर्स को उगाही के लिए फोन किया था।
ऐसे हुआ एनकाउंटर
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार 23 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन और कौसर बी एक बस में हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। इस दौरान गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने उनकी बस को रुकवाया, पुलिस सिर्फ़ सोहराब को बस से उतारना चाहती थी। लेकिन कौसर बी अपने पति को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी और उसके साथ ही उतर गई। चार्जशीट के मुताबिक इसके बाद इस जोड़े को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया। घटना के बाद डीजी बंजारा के पैतृक गांव में कौसर बी का अंतिम संस्कार किया गया। एनकाउंटर से पहले सोहराबुद्दीन राजस्थान में छिपा था।
सभी आरोपी बरी
दिसंबर महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने 21 दिसंबर को फैसला सुनाया। इस मामले में ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी थे। वहीं इससे पहले मामले में अदालत ने सीबीआई के आरोप पत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूतों के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया था, इनमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंजारा शामिल हैं। आज 22 बाकी आरोपी भी बरी कर दिए गए।
Created On :   21 Dec 2018 2:53 PM IST