कुछ लोग दस्तावेज नहीं दिखाएंगे, लेकिन रामलला का सबूत मांगेगे : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद

Some people will not show the documents, but will ask for proof of Ramlala: Union Minister Ravi Shankar Prasad
कुछ लोग दस्तावेज नहीं दिखाएंगे, लेकिन रामलला का सबूत मांगेगे : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
कुछ लोग दस्तावेज नहीं दिखाएंगे, लेकिन रामलला का सबूत मांगेगे : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
हाईलाइट
  • कुछ लोग दस्तावेज नहीं दिखाएंगे
  • लेकिन रामलला का सबूत मांगेगे : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद

बड़ौदा, 29 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे विपक्ष और लोगों पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आजकल डिबेट में या अन्य जगहों पर कुछ लोग बोल रहे हैं कि वे दस्तावेज नहीं दिखाएंगे, लेकिन वे ही लोग अयोध्या में रामलला का सबूत मांगते थे।

रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि पहले हमें चुनाव में हराओ और अपनी सरकार सरकार बनाओ। हमें सेक्युलरिज्म का पाठ मत पढ़ाओ।

बड़ौदा में शनिवार को इंडिया फस्र्ट फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपने फैसले में तीन महत्वपूर्ण बातें कही थीं। पहला गिराया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। दूसरा मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा। मस्जिद में इबादत में व्यवधान के बावजूद साक्ष्य यह बताते हैं कि प्रार्थना पूरी तरह से कभी बंद नहीं हुई। मुस्लिमों ने ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया, जो यह दर्शाता हो कि वे 1857 से पहले मस्जिद पर पूरा अधिकार रखते थे और तीसरा एएसआई की रिपोर्ट का हवाला देकर कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद के नीचे जो ढांचा था वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था।

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, राम मंदिर के स्थान को हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं। मुस्लिम भी विवादित जगह के बारे में यही कहते हैं। प्राचीन यात्रियों द्वारा लिखी किताबें और प्राचीन ग्रंथ दर्शाते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है। ऐतिहासिक उद्धहरणों से संकेत मिलते हैं कि हिंदुओं की आस्था में अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है।

रविशंकर प्रसाद का कहना था, हिन्दू इस स्थान को रामलला का जन्मस्थान मानते थे इसका बात का उल्लेख संस्कृत, अंग्रेजी और फारसी भाषा के लेखों में मिलता है। इतना सब कुछ होने के बावजूद इस मामले को अदालत के बाहर स्वीकार करने में क्या हर्ज था कि वहां राम मंदिर था और है।

Created On :   29 Feb 2020 7:01 PM IST

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