'पिता यानी फंदे से लटका शरीर' : खुदकुशी करने वाले किसान के बच्चे ने बयां किया दर्द

Son of a farmers who suicide says, Father to me is a lifeless body:
'पिता यानी फंदे से लटका शरीर' : खुदकुशी करने वाले किसान के बच्चे ने बयां किया दर्द
'पिता यानी फंदे से लटका शरीर' : खुदकुशी करने वाले किसान के बच्चे ने बयां किया दर्द

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याओं को रोकने की मांग को लेकर यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे 400 बच्चों में से आरुष पाटिल भी एक हैं। जब आरुष से पूछा गया कि आपके लिए पिता क्या मायने रखते हैं, तो उसका जवाब था वे एक निर्जीव शरीर हैं, जो घर से कुछ कदम दूर एक पेड़ से लटके पाए गए थे।

आरुष एक ही सांस में बिना किसी हिचक के इस भयावह सच को बड़ी मासूमियत से बोल जाता है। इसे स्वीकार करने के लिए उसके पास सिर्फ पानी का एक पाउच है। आरुष की तरह और भी बहुत से बच्चों को अपने पिता का नाम नहीं पता। बीते एक दशक में महाराष्ट्र में किसानों की दुर्गति का आलम यह रहा कि लगातार बर्बाद होती फसल और कर्ज से परेशान होकर वे जान देते रहे। जंतर-मंतर पर आरुष जैसे 40 और बच्चे महाराष्ट्र से इस संदेश के साथ आए हैं कि खुदकुशी एक समाधान नहीं है। उनका पैगाम है कि क्या सरकार किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान देगी?

बहुत से बच्चे अनाथ हो गए हैं। कुछ बच्चों को नासिक के एक चैरिटी होम ने अपना लिया है। इन बच्चों को किसान मुक्तियात्रा के तहत दिल्ली लाया गया है। कक्षा-9 में पढ़ने वाली पल्लवी दिनेश पंवार बताती हैं कि पिता के पास कैले का खेत था लेकिन उन्हें फसल के सही दाम नहीं मिले। बिचौलियों ने उन्हें ठगा, बैंक ने लोन चुकाने का दबाव बनाया और एक दिन पिता ने अपनी जिंदगी खुद खत्म कर ली। पल्लवी नहीं चाहती कि उसके पिता की तरह और किसान भी इस संकट का सामना करें।

योगेन्द्र यादव की अगुवाई वाले स्वराज इंडिया से जुड़े अनुपम कहते हैं कि जब भी हालात से आजिज़ किसान दिल्ली जैसे महानगरों की सड़कों पर उतरते हैं तो शहरी मध्यवर्ग ट्रैफिक से खिसयाता है। लेकिन हम गांव में व्याप्त हताशा के मानवीय पहलुओं को बच्चों के जरिए सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं। 14 साल का गंगु कृष्णा जब 5वीं कक्षा में पढ़ता था तब उसने अपने पिता को खो दिया। आज वह 9वीं कक्षा में पढ़ता है। इन बच्चों की पढ़ाई और अन्य जिम्मेदारियों का खर्च वहन करने वाली स्वैच्छिक संस्थाओं के पास अनाथ, बेसहारा बच्चों की फेहरिस्त लम्बी होती जा रही है। उनके पास संसाधनों की तंगी है। इन संस्थाओं के अधिकारी बताते हैं कि अकेले महाराष्ट्र नहीं बल्कि तमिलनाडू से लेकर उत्तरप्रदेश और राजस्थान तक किसानों की स्थिति लगातार खराब हो रही है।

पल्लवी कहती है, 'जब मैं तीन साल की थी, मेरे पिता ने खुदकुशी कर ली। इस कदम से उनका दर्द तो खत्म हो गया लेकिन हमारी स्थिति और बिगड़ गई।' पल्लवी आगे कुछ कहना चाहती थी कि उसका गला रुंध गया और आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी।

Created On :   19 July 2017 7:18 PM IST

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