मुलायम, शिवपाल को नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी से निकाला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी ने सोमवार को पार्टी फाउंडर मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव को नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी से बाहर कर दिया। चुनाव आयोग को सौंपी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव को कोई पद नहीं दिया गया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पदों पर अपने लोगों को स्थान दिया है। माना जा रहा था कि पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव से उनके संबंध सामान्य हो गए हैं। लेकिन इस फैसले से साफ हो गया कि मुलायम भले ही नई परिस्थिति से सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अखिलेश का दृष्टिकोण उनके प्रति नहीं बदला है। अखिलेश के नेतृत्व वाली पार्टी ने यह निर्णय ऐसे समय लिया है, जब कुछ दिन पहले ही मुलायम ने अपने बेटे और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ किसी तरह का विवाद होने से इनकार करते हुए नई पार्टी के गठन से मना किया था।
पहले अलग पार्टी बनाना चाहते थे मुलायम
पिछले कुछ समय से समाजवादी पार्टी में वर्चस्व को लेकर जंग चल रही है। पारिवारिक विवाद के बीच मुलायम सिंह यादव जब अखिलेश और शिवपाल के बीच सुलह-सफाई की कोशिशों में सफल नहीं हुए तो उन्होंने फिर से अखिलेश की ओर झुकने की कोशिश की। नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी में शामिल नहीं किए जाने का मतलब यही है कि उनकी कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकलााा।।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि 77 वर्षीय पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव लोकदल के साथ मिल कर किसी नए दल की घोषणा कर सकते हैं। इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ने जून में घोषणा की थी कि वह साम्प्रदायिक शक्तियों के मुकाबले के लिए समाजवादी सेक्यूलर फ्रंट नाम से एक नए राजनीतिक दल का गठन करेंगे। पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष के साथ समायोजन के क्रम में मुलायम सिंह यादव ने बाद में इस मसले पर चु्प्पी साध ली थी। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने घोषणा की थी कि उनका पार्टी संगठन में अपने पुत्र के साथ कोई विवाद नहीं है।
अखिलेश ने कायम किया एकछत्र राज्य
एक जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने पिता की जगह पार्टी प्रमुख के पद पर ताजपोशी के बाद अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव दोनों को ही पार्टी से पूरी तरह अलग-थलग कर दिया। पार्टी अध्यक्ष बनने और 16 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का चुनाव चिह्न साइकिल आवंटित होने के बाद अखिलेश ने मुलायम और शिवपाल दोनों को नजरअंदाज करते हुए पार्टी को पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया। दोनों पार्टी संस्थापक सदस्यों को पार्टी अध्यक्ष ने कोई मत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं सौंपी। जिसकी वजह से उनके बीच लगातार दूरियां बढ़ती गईं। अखिलेश समाजवादी पार्टी को जातीय आधार से बाहर निकाल कर भाजपा के सामने एक प्रगतिशील राजनीतिक दल के रूप में खड़ा करना चाहते थे। लेकिन मुलायम और शिवपाल दोनों ही परंपरागत जातीय मतदाताओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहते थे। दोनों के बीच का यह विरोध अब बेहद कटुतापूर्ण दौर में पहुंच गया है।
Created On :   16 Oct 2017 6:24 PM IST