सुप्रीम कोर्ट : एक अन्य पीठ द्वारा सजा पर सुनवाई की भूषण की मांग खारिज

Supreme Court: Bhushans demand for hearing on sentence rejected by another bench
सुप्रीम कोर्ट : एक अन्य पीठ द्वारा सजा पर सुनवाई की भूषण की मांग खारिज
सुप्रीम कोर्ट : एक अन्य पीठ द्वारा सजा पर सुनवाई की भूषण की मांग खारिज

नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए।

न्यायाधीश अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी ने भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि इस धारणा से बचना चाहिए कि इस पीठ से बचने का प्रयास किया जा रहा है।

इस पर दवे ने जवाब दिया, पीठ यह धारणा क्यों दे रही है कि यह पीठ न्यायमूर्ति मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पहले सब कुछ तय करना चाहती है।

दवे ने आग्रह किया कि सजा के मामले पर एक अलग पीठ द्वारा विचार किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता। दवे ने जोर देकर कहा कि अगर इस सुनवाई को समीक्षा तक टाल देंगे, तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा। हालांकि, न्यायमूर्ति गवई ने मामले को दूसरी पीठ को स्थानांतरित (ट्रांसफर) करने से इनकार कर दिया।

मामले को अलग पीठ को दिए जाने की मांग पर पीठ ने कहा कि यह उचित नहीं है और यह स्थापित प्रक्रिया और मानदंडों के खिलाफ है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने जवाब दिया, मान लीजिए अगर मैं पद से सेवानिवृत्त नहीं हो रहा हूं, तो क्या इसके बारे में कभी सोचा जा सकता है?

पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

अवहेलना या अवमानना मामले में उक्त व्यक्ति को छह महीने तक के साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक के जुमोने या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने भूषण को 14 अगस्त को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट्स के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।

भूषण ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि उन्हें गलत समझा गया है।

उन्हें कहा कि वह दया नहीं मांग रहे हैं और न ही वह अदालत से उदारता की अपील कर रहे हैं। भूषण ने कहा, मेरे ट्वीट जिनके आधार पर अदालत की अवमानना का मामला माना गया है, दरअसल वो मेरी ड्यूटी हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं। वहीं शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ट्वीट विकृत तथ्यों पर आधारित थे।

एकेके/आरएचए

Created On :   20 Aug 2020 4:00 PM IST

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