SC ने केंद्र सरकार से कहा, आधार से नहीं रोके जा सकते बैंकिंग फ्रॉड

SC ने केंद्र सरकार से कहा, आधार से नहीं रोके जा सकते बैंकिंग फ्रॉड

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आधार की मदद से बैंक फ्रॉड और आतंकियों को पकड़े जाने की दलील को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आधार हर मर्ज का इलाज नहीं है। आखिर आधार से बैंक धोखाधड़ी कैसे रुक जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आजकल आधार कानून की वैधानिकता पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान ये बात कही गई।

बैंक अधिकारी की मिलीभगत से होते हैं फ्रॉड
गुरुवार को बहस के दौरान जब केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि आधार से बैंक धोखाधड़ी रुकेगी। तो पीठ के न्यायाधीशों ने सरकार की इस दलील से असहमति जताते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि आधार से बैंक धोखाधड़ी रुकेगी। जस्टिस ए के सीकरी ने कहा फ्रॉड कई पहचान पत्र की वजह से नहीं होते। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास उस शख्स की पूरी जानकारी होती है, जिसे लोन दिया होता है। बैंक फ्रॉड की असल वजह यह है कि बैंक अधिकारी और फ्रॉड करने वाले मिले हुए है। कोर्ट की इन टिप्पणियों पर अटार्नी जनरल ने कहा कि हो सकता है कि कोर्ट नीरव मोदी की बात कर रहा हो लेकिन आधार बेनामी संपत्ति और बेनामी लेनदेन को लेकर कारगर है। 

आतंकी सैटेलाइट फोन इस्तेमाल करते हैं
इसके बाद कोर्ट ने पूछा आप मोबाइल से आधार को क्यों जोड़ना चाहते हैं ? क्या आप हर नागरिक को आतंकी या उल्लंघनकर्ता क्यों मानते हैं? इसके जवाब में अटॉनी जनरल ने कहा कि आतंकी जम्मू कश्मीर में आसानी से सिम लेते हैं और मैसेज करते हैं। इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि वह सरकार की बुद्धिमता पर शक नहीं कर रहे ,लेकिन क्या आतंकी सिम कार्ड के लिए आवेदन करते है? वह तो सैटेलाइट फोन इस्तेमाल करते हैं। कोर्ट ने कहा, "आप पूरे 120 करोड़ लोगों को अपने मोबाइल फोन्स को आधार से लिंक करने को कह रहे हो क्योंकि आप कुछ आतंकियों को पकड़ना चाहते हैं।"

ये जज कर रहे सुनवाई
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच आधार की वैधता और लॉ बनाने को चुनौती देनेवाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस पीठ में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सख्त सवाल करते हुए पूछा था कि अगर अधिकारी प्रशासनिक आदेशों के जरिए नागरिकों से अपने DNA, सीमेन और खून के सैंपल्स को भी आधार डेमोग्राफिक्स में शामिल करने को कहें तो क्या होगा।  
 

Created On :   5 April 2018 6:22 PM GMT

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