'Right to privacy' पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल 

Supreme Court verdict on  Right to privacy comes tomorrow.
'Right to privacy' पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल 
'Right to privacy' पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। "Right to privacy" को संविधान के तहत मूल अधिकार मानना चाहिए या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट कल अपना फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने "Right to privacy" यानी निजता के अधिकार के मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। इस मामले पर 2 अगस्त को हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली 9 सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस एसए बोडबे, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। आधार कार्ड स्कीम में नागरिकों की निजता के हनन को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस संवैधानिक बेंच के गठन का फैसला लिया था।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के 1954 और 1962 के जजमेंट का हवाला दिया था, जिनमें "Right to privacy" को मूल अधिकार नहीं माना गया था। इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि 1954 और 1962 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में उस तरह कभी विचार नहीं किया जा सकता था जैसी तकनीक आज 21वीं सदी में मौजूद है।

बेंच ने सुनवाई में यह विचार किया कि आखिर "Right to privacy" के अधिकार की प्रकृति क्या है। सुप्रीम कोर्ट ने 1954 और 1962 में "Right to privacy" को मूल अधिकार न मानने वाले मामलों का अध्ययन किया है। सुनवाई के दौरान आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने कहा था कि संसद की ओर से बनाए गए तमाम कानून अलग-अलग तरह से इस प्राइवेसी का संरक्षण करते हैं, लेकिन यह मूल अधिकार नहीं माना जा सकता।

 "Right to privacy" को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व जज के.एस. पुट्टास्वामी, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के पहले चेयरमैन रहे शांता सिन्हा, नारीवादी शोधकर्ता कल्याणी सेन मेनन और अन्य लोगों ने याचिका दाखिल की है।

Created On :   23 Aug 2017 12:34 PM GMT

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