11 साल पुराने प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर फिर विचार करेगी सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court  will reconsider on giving reservation in promotion
11 साल पुराने प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर फिर विचार करेगी सुप्रीम कोर्ट
11 साल पुराने प्रमोशन में आरक्षण के मामले पर फिर विचार करेगी सुप्रीम कोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट आज देश के सबसे अहम मुद्दे "आरक्षण" पर 11 साल पुराने मामले पर फैसला सुनाएगा। SC सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण के मामले में "क्रीमी लेयर" लागू करने के मुद्दे से संबंधित अपने 11 साल पुराने निर्णय पर विचार करने के लिए तैयार हो गया। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच प्रमोशन में एससी और एसटी समुदायों के लोगों को आरक्षण देने के मुद्दे पर विचार करेगी। 

बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि वो फैसले के सही होने के मुद्दे पर गौर नहीं करेगी। आपको बता दें कि एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही फैसला सुनाया था कि प्रमोशन में SC, ST समुदाय को आरक्षण देना राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य नहीं है। तब कोर्ट ने कहा था कि सरकारी सेवाओं में इन समुदायों का प्रतिनिधित्व कम होने और इनके पिछड़े होने की बात साबित करने वाले मात्रात्मक आंकड़े होने पर ही इन्हें प्रमोशन में रिजर्वेशन देने का कदम राज्य उठा सकते हैं। हालांकि अब देश के अटॉर्नी जनरल और अन्य लोगों के अनुरोध पर कोर्ट इस मुद्दे पर दोबारा विचार करेगा। 

पुनर्विचार साल 2006 में SC के ही सुनाए गए फैसले पर किया जाना हैं, जिसमें 2006 के एम. नागराज केस में साफ कहा गया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देते वक्त भी क्रीमी लेयर जैसी दूसरी बातों और 50 पर्सेंट की सीलिंग का ध्यान रखा जाएगा और ऐसे आंकड़े पर भी गौर किया जाएगा जिससे साबित होता हो कि संबंधित राज्य में SC, ST पिछड़े हैं और सरकारी सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है। 

एम नागराज मामले में सुनाए गये फैसले में कहा गया था कि मण्डल आयोग पर फैसले के नाम से चर्चित 1992 के इन्दिरा साहनी प्रकरण और 2005 में ई वी चिन्नैया प्रकरण में सुनाए गए फैसलों की तरह सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के मामले में अनुसूचित जाति और जनजातियों पर क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू नहीं की जा सकती है। पहले के दोनों फैसले अन्य पिछड़ा वर्गों की श्रेणियों में क्रीमी लेयर के मुद्दे से संबंधित थे।

ताजा मामले में मध्य प्रदेश के याचिकाकर्ताओं ने नागराज केस की रूलिंग पर इस आधार पर दोबारा विचार करने की मांग की है कि इंदिरा साहनी और चिन्नैया मामलों को देखते हुए पिछड़ेपन का SC, ST टेस्ट पर नहीं लगाया जाना चाहिए। 

Created On :   16 Nov 2017 9:00 AM IST

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