50 फीसदी लोगों के मुताबिक कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे

Survey says Agricultural laws were beneficial to farmers according to 50 percent of people
50 फीसदी लोगों के मुताबिक कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे
सर्वेक्षण 50 फीसदी लोगों के मुताबिक कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे
हाईलाइट
  • कोई नहीं जानता कि राजनीतिक माहौल को देखते हुए कृषि कानून फिर से पेश किया जाएगा या नहीं
  • व्यापक रूप से ये तीनों कानून अलोकप्रिय थे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की एक वजह ये भी थी क्योंकि व्यापक रूप से ये तीनों कानून अलोकप्रिय थे।

इस बारे में कानूनों को लेकर इस तरह की थ्योरी भी चल रही थी कि इन कानूनों के जरिये अंबानी और अडानी किसानों की जमीन हड़प लेंगे और खुले बाजार में किसानों के लिए सौदा करना आसान नहीं होगा।

दिल्ली की ओर जाने वाली और दिल्ली के बाहर जाने वाली सड़कों की साल भर की नाकेबंदी को भी कृषि कानूनों की व्यापक अलोकप्रियता की वजह बताया गया।

भारत भर में आईएएनएस-सीवोटर स्नैप पोल द्वारा मिले तथ्य और डेटा के मुताबिक, 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का स्पष्ट बहुमत था कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे। इसके विपरीत, केवल 30 प्रतिशत को लगता है कि वे फायदेमंद नहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने स्वयं 19 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए कहा था कि उनकी सरकार चाहती है कि छोटे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले।

कृषि कानूनों के समर्थन के और भी सबूत हैं। लगभग 48 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि सरकार को सभी हितधारकों के साथ परामर्श और आवश्यक संशोधनों के बाद संसद में कृषि कानूनों को फिर से पेश करना चाहिए।

यह कोई नहीं जानता कि राजनीतिक माहौल को देखते हुए कृषि कानून फिर से पेश किया जाएगा या नहीं, लेकिन तथ्य यह है कि इस तरह के कदमों को लोगों का समर्थन है। उत्तरदाताओं के एक विशाल 56.7 प्रतिशत लोगों की राय थी कि राजनीतिक मकसद के कारण इन कानूनों का विरोध किया गया।

 

(आईएएनएस)

Created On :   21 Nov 2021 12:00 PM GMT

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