स्वीडन भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 के आयोजन में महिला विज्ञानियों का सम्मान किया गया

Sweden India Nobel Memorial Week 2020 Honors Women In Science At The Event
स्वीडन भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 के आयोजन में महिला विज्ञानियों का सम्मान किया गया
स्वीडन भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 के आयोजन में महिला विज्ञानियों का सम्मान किया गया
हाईलाइट
  • अटल इनोवेशन मिशन की साझेदारी से हुआ आयोजन
  • महिलाओं के लिए एसटीईएम शिक्षा के महत्व पर जोर

08 दिसंबर, 2020. नई दिल्ली: स्वीडन-भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 के तहत भारत में स्वीडन के दूतावास में अटल इनोवेशन मिशन की साझेदारी में ‘शी स्टेम! वीमेन लीडिंग द वे’ का वर्चुअल आयोजन किया गया। यह स्वीडन और भारत की महिला वैज्ञानिकों और उद्यमियों की सफलता का समारोह था।

आयोजन का मकसद विशिष्ट महिलाओं का सम्मानित करना था जिन्होंने वैश्विक स्थिरता के प्रयासों में अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का समावेश किया है और  भारत और स्वीडन में एसटीईएम के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। साथ ही, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में शानदार कॅरियर के साथ रोल मॉडल बनी हैं और सफलता की कहानियां लिख रही हैं। ये अपने कार्य क्षेत्र में ज्ञान संपदा और तकनीक के विकास को सही दिशा दे रही हैं।

आयोजन में लगभग 5000 लोगों की भागीदारी देखी गई। इनमें विद्यार्थी, शिक्षक, मीडिया और अन्य संरक्षक शामिल थे। अधिकांश प्रतिशत लड़कियों और महिलाओं का था।

समारोह के उद्घाटन संबोधन में लिंग समानता के लिए स्वीडिश राजदूत और नारीवादी विदेश नीति की समन्वयक सुश्री ऐन बन्र्स ने कहा, ‘‘लंबे समय से, खास कर 2014 में नारीवादी विदेश नीति अपनाने के समय से हम ने लिंग समानता के मामले में बदलाव पर जोर दिया है। हमें यह बताते हुए खुशी है कि स्वीडन में दुनिया की पहली नारीवादी सरकार है। इस बदलाव के लिए हमें रूढ़िवादिता, भेदभाव और लैंगिक असमानता से लड़ना है जो आज भी पूरी दुनिया में अनगिनत लड़कियों के जीवन में दिखती है। स्वीडन की नारीवादी विदेश नीति बड़े बदलाव का एजेंडा चाहती है जो कुछ अहम् बदलावों और संरचनाओं को प्रभावित करे और विभिन्न क्षेत्रों खास कर एसटीईएम में महिलाओं की पहंुच और पहचान बढ़ाए।’’

इसके बाद स्टॉकहोम रेजिलिएंश सेंटर की उप विज्ञान निदेशक डॉ. बीट्रिस क्रोना का ‘सस्टेनेबिलिटी साइंस टॉक’ आयोजित किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और जलवायु परिवर्तन और लैंगिकता के बीच संबंध पर चर्चा की। शोध के माध्यम से उन्होंने यह डेटा दिया कि पुरुषों की तुलना में जलवायु परिवर्तन पर महिलाएं अधिक काम करने की इच्छुक हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने पर्यावरण अध्ययन और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं के प्रतिनिधित्व को अहम् बताया।

अगली वक्ता जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डाॅ. रेणु स्वरूप थीं। वे हमेशा की तरह सुस्पष्ट और प्रभावी थीं: ‘‘भारत स्वीडन आयोजन का हिस्सा बनना खुशी की बात है और हमें विश्वास है कि इसमें बहुत सारे सुझाव आएंगे जिन्हें लागू किया जा सकता है। ‘शी स्टेम’ का आयोजन बहुत दिलचस्प है क्योंकि लैंगिक विविधता के दृष्टिकोण से स्थिरता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिला के योगदान का बहुत अधिक महत्व है। भविष्य में इस तरह के निरंतर विमर्श और परिदृश्य में लंैगिक विविधता को संपूर्णता से स्थान देना और इसे केंद्र में रखना बहुत महत्वपूर्ण है। मैं सटीक विचार-विमर्श का यह मंच मजबूत करने के लिए पूरी टीम को बधाई देती हूं।’’

इसके बाद कुछ विशिष्ट महिलाओं के साथ चर्चा की गई, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञता का नेतृत्व किया है और पर्यावरण और समाज में बड़े बदलाव किए। इस शानदार पैनल में ग्लोब की सीईओ और फाउंडर हेलेना सैमसियो;  ऐनराइड की सीएमओ एवं को-फाउंडर लीनिया काॅर्नहेड; विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की महानिदेशक डाॅ. सुनीता नारायण; और बेल लैब्स की फाउंडर और सीईओ संस्कृति दवाले शामिल थीं।

विमर्श का केंद्र बिन्दु एसटीईएम में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का महत्व और कार्य क्षेत्र में महिलाओं की निजी चुनौतियां हैं। साथ ही, यह भी विमर्श किया गया कि वे सामान्य स्तर पर लिंग भेद दूर करने का नेक काम कैसे आगे बढ़ायें। पैनल डिस्कशन के बाद उनकी विद्यार्थियों के साथ बातचीत हुई।

 

Created On :   9 Dec 2020 3:31 PM IST

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