हंगामे के बाद लोकसभा-राज्यसभा स्थगित, आज भी नहीं आया 'अविश्वास प्रस्ताव'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार का दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। दरअसल, कावेरी जल विवाद को लेकर AIADMK के सांसदों की तरफ से लोकसभा में जमकर हंगामा किया गया, जिसके चलते पहले तो सदन को 12 बजे तक स्थगित किया गया, लेकिन जब हंगामा शांत नहीं हुआ तो फिर सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इस कारण YSR कांग्रेस और तेलगु देशम पार्टी (TDP) की तरफ से मोदी सरकार के खिलाफ आने वाला अविश्वास प्रस्ताव मंगलवार को भी पेश नहीं हो सका। वहीं राज्यसभा में इराक के मोसुल में लापता 39 भारतीयों की मौत की जानकारी देने के बाद अपर हाउस को भी पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। बता दें कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग ठुकराए जाने के बाद YSR कांग्रेस ने पहले मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था और अब TDP ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की है।
पहले शुक्रवार को आना था अविश्वास प्रस्ताव
YSR कांग्रेस और TDP की तरफ से मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव शुक्रवार को पेश होने वाला था, लेकिन उस दिन तेंलगाना राष्ट्र समिति के सांसदों के हंगामे के बाद लोकसभा को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। अब सोमवार को भी सदन में AIADMK सांसदों के हंगामे के बाद सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। अब इस प्रस्ताव को मंगलवार को लाने की तैयारी थी, लेकिन आज भी हंगामे के कारण सदन स्थगित हो गया। अब इस प्रस्ताव को बुधवार को सदन में पेश किया जा सकता है। बता दें कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि वो इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं।
अविश्वास प्रस्ताव को कई पार्टियों का समर्थन
YSR कांग्रेस की तरफ से मोदी सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को कई पार्टियों का समर्थन मिल गया है। TDP के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्स) ने अपना समर्थन देने की बात कही है। हालांकि AIADMK ने अभी साफ नहीं किया है कि वो इस प्रस्ताव को समर्थन देगी या नहीं।
क्या खतरे में है मोदी सरकार?
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में 282 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन अब लोकसभा में पार्टी के पास अपने 273 सांसद हैं। इसके साथ ही बीजेपी के सहयोगी दलों के 41 सांसद हैं। ऐसे में विपक्षी पार्टियों के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के लिए मोदी सरकार को सिर्फ 270 सांसदों का साथ चाहिए। अगर बीजेपी के सहयोगी दलों को भी छोड़ दिया जाए तो बीजेपी अकेले अपने दम पर सदन में विश्वास मत हासिल कर लेगी। ऐसे में देखा जाए तो मोदी सरकार को इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई खतरा नहीं है।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव का गणित?
दरअसल, लोकसभा में जब किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार विश्वास खो चुकी है तो वो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है। अगर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है या वो पास हो जाता है, तो फिर रूलिंग पार्टी को सदन में विश्वास मत हासिल करना होता है और बताना होता है कि उसके पास सदन में जरूरी सांसद हैं। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। सदन में TDP के 16 सांसद और YSR कांग्रेस के 9 सांसदों के अलावा कांग्रेस के 48 सांसद, AIADMK के 37 सांसद, तृणमूल कांग्रेस के 34 सांसद, बीजू जनता दल के 20 सांसद, शिवसेना के 18 सांसद, TRS के 11 सांसद, CPI (M) के 9 सांसद और समाजवादी पार्टी के 9 सांसद हैं। अगर ये सभी सांसद मिल जाते हैं तो इस अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी।
आंध्र प्रदेश बीजेपी का अगला त्रिपुरा : बीजेपी
TDP पर पलटवार करते हुए बीजपी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि "जनता की राय आंध्र प्रदेश सरकार और TDP के खिलाफ जा रही है। वो खुद को 2019 में हारते हुए देख रहे हैं और अपनी इस हार का दोष हम पर मढ़ना चाहते हैं।" उन्होंने कहा "आंध्र प्रदेश के सीएम को ये समझने में 4 साल क्यों लग गए कि गठबंधन काम नहीं कर रहा है। आंध्र बीजेपी का अगला त्रिपुरा होगा।" वहीं JDU नेता केसी त्यागी ने कहा कि "बड़े गठबंधन में विचारों के मतभेद होते रहते हैं। हालांकि NDA को इससे कोई खतरा नहीं है।"
बीजेपी का गंदा खेल शुरू : TDP
वहीं TDP सांसद जयदेव गाल्ला ने कहा कि "बीजेपी ने अपना गंदा खेल खेलना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने जो तमिलनाडु में जो किया वही अब आंध्र प्रदेश में करने की कोशिश कर रही है। तमिलनाडु में बीजेपी ने छोटी पार्टियों को भड़काकर बड़ी पार्टियों को तोड़ दिया और अब आंध्र प्रदेश में भी वो यही रणनीति अपना रही है।"
YSRC और TDP दे चुकी है नोटिस
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मना करने के बाद सबसे पहले आंध्र की विपक्षी पार्टी YSR कांग्रेस ने गुरुवार को लोकसभा महासचिव को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था। जिसे TDP ने भी समर्थन दिया था। इसके बाद TDP ने भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए लोकसभा महासचिव को नोटिस दिया।
केंद्र से पहले ही अलग हो चुकी है TDP
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने के बाद TDP के दो मंत्री अशोक गणपति राजू और वाईएस चौधरी ने इस्तीफा दे दिया था। अशोक गजपति राजू मोदी सरकार में एविएशन मिनिस्टक थे, तो वहीं वाईएस चौधरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी स्टेट मिनिस्टर थे। इसके बाद बीजेपी के दो मंत्री कामिनेनी श्रीनिवास और पी मनिकलाया राव ने भी नायडू सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते : सरकार
केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पहले ही ठुकरा चुकी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली साफ कह चुके थे कि "हम आंध्र प्रदेश के विकास के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए तैयार हैं और हमने राज्य सरकार की हर मुमकीन मदद भी की है लेकिन हम उनकी ऐसी मांगों को नहीं मान सकते, जो नामुमकिन हो।" उन्होंने आगे बताया कि "सिर्फ पिछड़ेपन के आधार पर किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते क्योंकि इस आधार पर तो बिहार,झारखंड जैसे बाकी राज्य भी इस मांग पर अड़ जाएंगे।"
Created On :   19 March 2018 7:37 AM IST