26/11 बरसी : 10 आतंकियों ने 57 घंटों तक ऐसे मचाया था कोहराम
- महज 10 आतंकियों ने 1 करोड़ आबादी वाले शहर में 57 घंटों तक तबाही मचाई थी।
- मुंबई में हुए आतंकी हमले को दस साल पूरे हो गए हैं।
- साल 2008 में पाकिस्तानी आतंकियों ने अपने नापाक इरादों से पूरे भारत को हिला कर रख दिया था।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई में हुए आतंकी हमले को दस साल पूरे हो गए हैं। साल 2008 का यही वो मनहूस दिन, जब चंद पाकिस्तानी आतंकियों ने अपने नापाक इरादों से पूरे भारत को हिला कर रख दिया था। समंदर के रास्ते मुंबई महानगर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी दाखिल हुए थे। देश की धरती पर पैर रखते ही उनकी बंदूकों ने ऐसा शोर मचाया, जो आज भी सुनाई देता है। महज 10 आतंकियों ने 1 करोड़ आबादी वाले शहर में 57 घंटों तक तबाही मचाई। इस आतंकी हमले मे 166 लोग मारे गए और सैंकड़ों लोग जख्मी हो गए। हमले में शामिल 10 में से 9 आतंकी मारे गए थे और एक आतंकी अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया था, जिसे 2012 में यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
कैसे हुआ हमला?
26 नवंबर, 2008। समय रात करीब आठ बजे। समंदर से एक नाव होटेल ताज के नजदीक आकर रूकी। 19-20 साल के 10 लड़के इस नाव से उतरे। ये दस आतंकी थे जो देश के महानगर मुंबई में आतंक मचाने आए थे। ये 10 आतंकी जोड़ियों और तिकड़ियों में बंट गए। गुटों में बटकर आतंकियों ने यहूदी गेस्ट-हाउस, नरीमन हाउस, सीएसटी, होटल ताजमहल, होटल ट्राईडेंट ओबरॉय और कामा अस्पताल में घुसकर दहशतगर्दी फैलाना शुरू कर दिया। आतंकियों ने बम विस्फोट के साथ-साथ लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई। आतंकी जिस भी बिल्डिंग में दाखिल हुए वहां लाशें बिछा दी। आतंकियों ने ना तो बच्चों को छोड़ा ना बुजुर्गों को। जो सामने आया उस पर फायर कर दिया। होटेल ताज में कई विदेशी मेहमानों को बंधक बनाए रखा और कई घंटों तक होटेल से केवल फायरिंग की आवाजें सुनाई देती रहीं।
200 NSG कमांडो ने संभाला मोर्चा
आंतकियों को मारने के लिए केंद्र की ओर से 200 एनएसजी कमांडो भेजे गए, सेना के भी 50 कमांडो इस ऑपरेशन में शामिल थे। इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियों को भी वहां भेजा गया। 57 घंटों तक आतंकियों के साथ लड़ाई जारी रही। जिसके बाद 10 में से 9 आतंकवादियों को मार दिया गया। इस हमले में करीब 166 लोग मारे गए थे। आतंकियों से लोहा लेते हुए उस वक्त मुंबई पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान शहीद हो गए थे। इसमें महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी विजय सालस्कर, आईपीएस अशोक कामटे और कॉन्स्टेबल संतोष जाधव भी शामिल थे। ये हमला भारत पर किया गया सबसे बड़ा आतंकी हमला था। जिस तरह आतंकी देश में घुसे वो कोई सोच भी नहीं सकता था। इस घटना के बाद देश की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया था।
जिंदा पकड़ा गया था आतंकी अजमल आमिर कसाब
आतंकियों को काबू करने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) ने मोर्चा संभाला। स्पेशल फोर्स के जवानों और आतंकियों के बीच कई घंटों तक मुठभेड़ चली। जवानों ने नौ आतंकियों को मार गिराया गया था और एक आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। बाद में उसने पाकिस्तान की आतंकी साजिश की पोल खोलकर रख दी थी। शराफत का हिजाब ओढ़े पाकिस्तान को कसाब के खुलासों ने उसे बेपर्दा कर दिया था, लेकिन पाक ने अपने ही मोहरे कसाब को पाकिस्तान मानने से इंकार दिया था। आखिरकार 21 नवंबर 2012 को कानूनी प्रक्रिया के बाद पुणे के यरवदा जेल कसाब को में फांसी दे दी गई थी।
खुलेआम घूम रहा 26/11 का मास्टर माइंड
आतंकी हाफिज सईद- ये मुंबई में 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है। प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा प्रमुख और मुंबई हमले के इस गुनहगार 13 दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले की साजिश रचने वालों में भी शामिल था। इतना ही नहीं 11 जुलाई 2006 को मुंबई की ट्रेनों में हुए धमाकों में भी इसका हाथ था।
जकीउर रहमान लखवी- पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सरगना जकी-उर रहमान लखवी का नाम एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में है। 26/11 मुंबई हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने खुलासा किया था कि लखवी ने उसे और बाकी हमलावरों को मुंबई हमले के लिए उकसाया था। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड लखवी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तानी सेना की सरपरस्ती हासिल है। दोनों उसे बचाने की हर मुमकिन कोशिश भी कर रहे हैं। मुंबई हमले के बाद चौतरफा दबाव में पाकिस्तान ने लखवी को गिरफ्तार किया था। पिछले साल पाकिस्तान की कोर्ट ने उसे जमानत मिल गई थी।
सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल- पिछले साल अगस्त में 2006 के महाराष्ट्र औरंगाबाद आर्म हॉल मामले में 26/11 के आरोपी और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अबू जुंदाल को मकोका की एक स्पेशल कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। अबू जिंदाल 26/11 आतंक का एक प्रमुख साजिशकर्ता था। इसी ने पाकिस्तान के मुजफराबाद शहर में आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी।
आतंकी डेविड कोलमैन हेडली- आतंकी डेविड हेडली पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता था। इसने ही मुंबई हमलों की योजना बनाने और अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हेडली पर मुंबई हमलों में अहम भूमिका सिद्ध होने पर मुकदमा चलाया गया था। इस मुकदमें में मौत की सजा से बचने के लिये वो सरकारी गवाह बन गया और अपना जुर्म कबूल लिया। मुंबई हमलों में संलिप्तता के मामले में 24 जनवरी 2013 को अमेरिकी कोर्ट ने हेडली को 34 सालों की सजा सुनाई थी।
तहव्वुर राणा- पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा मुंबई में हुए हमले का सह आरोपी है। राणा पर हेडली को मदद पहुंचाने का आरोप था। राणा को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य भी बताया जाता है। बता दें कि इन आतंकियों के अलावा 6 अन्य आतंकियों, अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनिस अंजुम पर भी मुंबई हमलों को अंजाम देने का आरोप है।
Created On :   25 Nov 2018 11:16 PM IST