बैंकों की हड़ताल पर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर तंज, 'सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है'

The central government is privatizing profits and nationalizing losses: Rahul Gandhi
बैंकों की हड़ताल पर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर तंज, 'सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है'
बैंकों की हड़ताल पर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर तंज, 'सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है'

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार पर फिर हमला बोला है और बैंक कर्मचारियों के दो दिनी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, भारत सरकार लाभ का निजीकरण और नुकसान का राष्ट्रीयकरण कर रही है। कांग्रेस ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण और बैंकिंग सुधारों के खिलाफ 15 और 16 मार्च के दो दिवसीय देशव्यापी बैंक हड़ताल को समर्थन दिया है।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल में भाग लेने वाले 10 लाख बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ एकजुटता से खड़े हैं। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू), जो नौ बैंक यूनियनों की एक संस्था है, द्वारा आहूत हड़ताल मोदी सरकार की प्राथमिकताओं के खिलाफ है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों को निजी हाथों को बेचने का कोई औचित्य नहीं है - विदेशी या घरेलू। यह सरकार के 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक हताश प्रयास है।

कांग्रेस ने कहा कि बैंकों का राष्ट्रीयकरण पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम था, जिसमें बैंकिंग को हर भारतीय के करीब लाना था। इसका मकसद बैंकों और ऋणों को उन लोगों तक ले जाना था, जो फाइनेंस से दूर थे। पीएसयू बैंक केवल लाभ कमाने वाले उद्यम नहीं हैं, वे सामाजिक सुधार के लिए भी उपयोग किए जाते हैं।

बैंक कर्मचारियों के प्रदर्शन पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, हमारी मांग है कि जब आज पूरे भारत में 13 लाख लोग हड़ताल पर हैं तो उनको बुलाकर बात करनी चाहिए। जो बड़े-बड़े बैंक गरीबों और छोटे व्यापारियों की मदद करते हैं उन बैंकों को अमीरों के हाथ में देने की सरकार की मंशा ठीक नहीं है। खड़के ने कहा कि हमारी मांग है कि जब आज पूरे भारत में 13 लाख लोग हड़ताल पर हैं तो उनको बुलाकर बात करनी चाहिए। जो बड़े-बड़े बैंक गरीबों और छोटे व्यापारियों की मदद करते हैं उन बैंकों को अमीरों के हाथ में देने की सरकार की मंशा ठीक नहीं है। 

 

Created On :   16 March 2021 7:10 AM GMT

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