राम मंदिर की नींव संग रखी जाएगी गोरक्षपीठ के योगदान की आधारशिला

The foundation of the Ram temple will be laid with the foundation of the contribution of Gorakshpeeth
राम मंदिर की नींव संग रखी जाएगी गोरक्षपीठ के योगदान की आधारशिला
राम मंदिर की नींव संग रखी जाएगी गोरक्षपीठ के योगदान की आधारशिला
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गोरखपुर, 21 जुलाई(आईएएनएस)। पांच अगस्त 2020 की तारीख इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर स्थित गुरु गोरक्षनाथपीठ को भी याद रखने की आधारशिला रखने का कार्य पूर्ण हो जाएगा। श्रीराम मंदिर आंदोलन में गोरक्षनाथ पीठ के योगदान को चिरकाल तक याद किया जाता रहेगा।

अगर संभव हुआ तो इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश-दुनिया के करोड़ों हिंदुओं के आराध्य भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे। स्वाभाविक रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस ऐतिहासिक दिन के साक्षी बनेंगे। यह दिन उनके और जिस गोरक्षपीठ के वह पीठाधीश्वर हैं उसके लिए बेहद खास होगा। हलांकि अभी प्रधानमंत्री की अयोध्या आने कोई आधिकारिक सूचना नहीं है।

अयोध्या में जन्मभूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का भव्यतम मंदिर बने, यह उनके समेत गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों का सपना था। न केवल सपना, बल्कि इसे पूरा करने के लिए सबने पूरी शिद्दत से संघर्ष भी किया। उन दिनों जब मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था, तब गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ उस आंदोलन का केंद्र था। मंदिर आंदोलन से जुड़े अशोक सिंघल, ब्रह्मलीन महंत रामचंद्र परमहंस, उमा भारती, विनय कटियार जैसे लोगों का अक्सर गोरखनाथ मंदिर में तबके गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ से इस बारे में गुफ्तगू करने अक्सर आते थे।

गोरक्षपीठ से करीब ढाई दशक से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय ने बताया, जंगे आजादी और आपातकाल के बाद का यह सबसे बड़ा जनआंदोलन था। ऐसा जनआंदोलन जिसने देश की राजनीति की दशा और दिशा बदल दी। इतने बड़े आंदोलन के लिए ऐसे व्यक्ति का चयन आसान नहीं था जो तमाम पंथों में बटे हिंदू समाज के लिए सर्वस्वीकार्य हो। ऐसे में जिस एक नाम पर सबकी सहमति बनी वह थे, महन्त अवैद्यनाथ जी।

उन्होंने कहा, इसकी भी वजहें थीं। इसके पहले वह हिन्दू समाज में अस्पृश्यता जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ देश भर में जन-जागरण अभियान चलाकर शैव-वैष्णव आदि सभी धर्माचार्यो को एक मंच पर ला चुके थे। नतीजन जब 21 जुलाई, 1984 को अयोध्या के वाल्मीकि भवन में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ-समिति का गठन हुआ तो सर्वसम्मति से उनको अध्यक्ष चुना गया। तब से वह आजीवन इसके अध्यक्ष रहे। अपने नेतृत्व में उन्होंने इसे बहुसंख्यक समाज का जनआंदोलन बना दिया। ताउम्र उनका एक ही सपना था, अयोध्या में जन्मभूिम पर भव्य राममंदिर का निर्माण।

सुप्रीमकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद पांच अगस्त को उनके सपनों के मन्दिर को भव्यतम बनाने की शुरुआत भी हो जाएगी। अवैद्यनाथ के लिए यह जीवन का मिशन था। बाद में उनके उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ ने इसे अपने जीवन का मिशन बना लिया। बतौर सासंद अपने व्यपापक जनाधार के बूते उन्होंने इस आंदोलन को और धार दिया। उनके निधन के बाद बतौर पीठाधीश्वर भी यह क्रम जारी रहा।

पांडेय ने बताया, मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने औरों की तरह अयोध्या और राम मंदिर के प्रति अपने दिली लगाव को कभी छिपाया नहीं। अयोध्या की नियमित यात्राएं और वहां को लेकर किए गये विकास के काम इसके सबूत हैं। यही नहीं दीपोत्सव के जरिए उन्होंने अयोध्या की पहचान को देश और दुनिया में और मुकम्मल कर दी।

Created On :   21 July 2020 3:30 PM IST

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